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रक्षाबंधन का त्योहार इस साल 3 अगस्त को मनाया जाएगा. श्रावण मास की पूर्णिमा को यह पर्व मनाया जाता है. हिंदू धर्म में रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने का समय बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई उन्हें उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं. जानिए इस बार रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त और इसका महत्व.
रक्षाबंधन वाले दिन सबसे पहले राखी की थाली सजाएं. इस थाली में रोली, कुमकुम, अक्षत, पीली सरसों के बीज, दीपक और राखी रखें. भाई को तिलक लगाएं और उसके दाहिने हाथ में राखी बांधें. राखी बांधने के बाद भाई की आरती उतारें. फिर भाई को मिठाई खिलाएं.
अगर बहन बड़ी है, तो भाई को उसके चरण स्पर्श करने चाहिए. राखी बांधने के बाद भाइयों को इच्छा और सामर्थ्य के अनुसार बहनों को भेंट देनी चाहिए. अगर भाई शादीशुदा है, तो कुछ जगह अपनी भाभी को भी राखी बांधने का रिवाज होता है. कई बहनें इस रक्षाबंधन वाले दिन भाई की लंबी उम्र के लिए व्रत भी रखती हैं.
रक्षाबंधन की शुरुआत कैसे हुई, इस बारे में सनातन धर्मग्रंथों में वर्णन मिलता है. इस बात का जिक्र मिलता है कि सबसे पहले इंद्र देवता की पत्नी इंद्राणी ने उनकी रक्षा के लिए राखी बांधी थी. इसके अलावा ये भी मान्यता है कि द्रौपदी ने भगवान कृष्ण को राखी बांधी थी.
जहां तक इतिहास की बात है, ऐसा जिक्र मिलता है कि चित्तौड़ की रानी कर्णवती ने गुजरात के सुल्तान बहादुरशाह की ओर से आक्रमण के दौरान अपनी सुरक्षा के लिए मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेजी थी. रक्षाबंधन वाले दिन भाई-बहन एक-दूसरे के घर जाते हैं. बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं और उसकी आरती उतारती हैं.
इसके बाद भाई उन्हें आशीर्वाद और उपहार आदि देते हैं. अगर भाई शादी-शुदा है, तो कुछ जगह अपनी भाभी को भी राखी बांधने का रिवाज है. इस दिन का भाई-बहन बेसब्री से इंतजार करते हैं.
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