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रमजान का पाक महीना शुरू हो चुका है. इस पूरे महीने खुदा की इबादत की जाती है और लोग 30 दिन का रोजा रखते हैं. यह महीना मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए बेहद खास है. जहां तक रोजा की बात है, इसे रखने के लिए सूर्योदय से पहले सहरी खाई जाती है. इसके बाद पूरे दिन कुछ भी खाया-पिया नहीं जाता है. सूरज ढलने के बाद मगरिब की अजान होने पर रोजा खोला जाता है, जिसे इफ्तार कहते हैं.
रोजा इस्लाम की पांच अहम बातों में से एक है. जो सभी बालिग पर वाजिब है. वाजिब मतलब करना ही होगा, नहीं करने पर गुनाह के भागीदार होंगे. सुनने में तो आपको लग रहा होगा कि ये वाजिब शब्द बहुत कड़ा है. मतलब कोई बीमार हो या फिर कोई मजबूरी हो तो वो क्या करेगा? तो ऐसे में उनके लिए भी रास्ता है.
रमजान के पवित्र महीने में ही पहली बार 'कुरान' मानव जाति के लिए प्रकट हुई थी. मुस्लिम धर्म में मान्यता है कि इस पूरे महीने में, शैतानों को नरक में जंजीरों में बंद कर दिया जाता है और आपकी सच्ची प्रार्थनाओं और भिक्षा के रास्ते में कोई नहीं आ सकता है.
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