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जमात उल विदा एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब है कि जुमे की विदाई. इस पर्व को पूरे विश्व भर के मुस्लिमों द्वारा काफी धूम-धाम तथा उत्साह के साथ मनाया जाता है. यह पर्व रमजान के अंतिम शुक्रवार यानी जुमे के दिन मनाया जाता है. वैसे तो पूरे रमजान के महीने को काफी पवित्र माना जाता है लेकिन जमातुल विदा के इस मौके पर रखे जाने वाले इस रोजे का अपना ही महत्व है.
इस पर्व को लेकर ऐसी मान्यता है कि इस दिन पैगम्बर मोहम्मद साहब ने अल्लाह की विशेष इबादत की थी. यही कारण है कि इस शुक्रवार को बाकी के जुमे के दिनों से ज्यादा महत्वपूर्ण बताया गया है. ऐसा माना जाता है कि जमात-उल-विदा के दिन जो लोग नमाज पढ़कर अल्लाह की इबादत करेंगे और अपना पूरा दिन मस्जिद में बितायेगें. उसे अल्लाह की विशेष रहमत और बरकत प्राप्त होगी.
वैसे तो पूरे साल भर जुमे (शुक्रवार) की नामज को खास माना जाता है पर रमजान का आखिरी जुमा जमात-उल-विदा के नाम से भी जाना जाता है, उसका अपना अलग ही महत्व है. ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति जमात-उल-विदा के दिन सच्चे दिल से नमाज पढ़ता है और अल्लाह से अपने पिछले गुनाहों के लिए माफी मांगता है, उसकी दुआ जरूर पूरी होती है. इसीलिए जमात उल विदा को इबादत के दिन के रूप में भी जाना जाता है.
कितनी जल्दी ये अरमान गुजर जाता है
प्यास लगती नहीं इफ्तार गुजर जाता है
हम सब गुनहगारों की मगफिरत करे अल्लाह
इबादत होती नहीं और रमजान गुजर जाता है
रमजान की हार्दिक बधाई
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