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आज से सावन के महीने की शुरुआत हो चुकी है. सावन के पावन महीने में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है. सावन की शिवरात्रि 30 जुलाई को मनाई जाएगी. वहीं इसका समापन 15 अगस्त, रक्षाबंधन वाले दिन होगा.
सावन की शुरुआत के साथ ही कांवड़ में गंगाजल भरने और इसे शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए कांवड़ यात्रा शुरू हो जाती है. लाखों की संख्या में भक्त पैदल चलकर गंगाजल लाते हैं और शिविलिंग पर जल चढ़ाते हैं.
कुछ भक्त ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए भी जाते हैं. सोमवार और शिवरात्रि पर इसका महत्व और भी बढ़ जाता है.
ऐसी मान्यता है कि सोमवार को व्रत रखने से अच्छा और मनचाहा जीवनसाथी मिलता है. इस साल सावन के महीने में चार सोमवार पड़ रहे हैं. पहला सोमवार 22 जुलाई, दूसरा सोमवार 29 जुलाई, तीसरा सोमवार 5 अगस्त और चौथा सोमवार 12 अगस्त को है.
भगवान शिव की पूजा करते समय बेल के पत्ते और धतूरे का इस्तेमाल और गंगाजल अर्पित किया जाता है. साथ ही सावन में भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है. पूजा के बाद व्रतकथा जरूर सुनें या पढ़ें.
व्रत रखने वालों को इस दिन भगवान शिव के साथ मां गौरी की पूजा भी करनी होती है. इस दिन तड़के स्नान करने के बाद सफेद या हरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए. इसके बाद शाम को प्रदोष बेला में 16 प्रकार से पूजन के इस्तेमाल होने वाली सामग्री जैसे पुष्प, दूब, बेलपत्र, धतूरा जैसी चीजों से पूजा की जाती है.
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