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Sharad Purnima 2021: शरद पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर में सबसे बड़ी पूर्णिमाओं में से एक है. ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा वर्ष में एकमात्र ऐसा दिन होता है जब चंद्रमा सभी सोलह कलाओं के साथ निकलता है. हिंदू धर्म में प्रत्येक मानव गुण कुछ कला से जुड़ा होता है और यह माना जाता है कि सोलह विभिन्न कलाओं का संयोजन एक संपूर्ण मानव व्यक्तित्व का निर्माण करता है.
भगवान कृष्ण थे जो सभी सोलह कलाओं के साथ पैदा हुए थे और वे भगवान विष्णु के पूर्ण अवतार थे. भगवान राम का जन्म केवल बारह कलाओं के साथ हुआ था. इसलिए, शरद पूर्णिमा के दिन भगवान चंद्र की पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस साल शरद पूर्णिमा 19 अक्टूबर के दिन पड़ी है.
गुजरात में शरद पूर्णिमा को शरद पूनम के नाम से जाना जाता है. वहीं बृज में, शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा (रस पूर्णिमा) के रूप में जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन भगवान कृष्ण ने दिव्य प्रेम का नृत्य महा-रास किया था. शरद पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान के बाद व्रत शुरू किया जाता है.
शरद पूर्णिमा तिथि प्रारंभ : 19 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 03 मिनट से
शरद पूर्णिमा तिथि समाप्त: 20 अक्टूबर को रात 08 बजकर 26 मिनट तक
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय का समय: 05:20 PM
शरद पूर्णिमा के दिन गाय के दूध से बनी खीर में चीनी मिलाकर भगवान को भोग लगाया जाता है. रात में जब चांद आकाश के मध्य हो उस वक्त चंद्र देव की पूजा करें और खीर का भोग लगाएं.
शरद पूर्णिमा के दिन भगवान शिव-पार्वती के साथ कार्तिकेय की भी पूजा होती है. भगवान को भोग लगाने के बाद रात को खीर से भरा बर्तन चांदनी के बीच बाहर रख दें.
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सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करने का मंत्र: पुत्रपौत्रं धनं धान्यं हस्त्यश्वादिगवेरथम् प्रजानां भवसि माता आयुष्मन्तं करोतु में
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