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नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा के स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना की जाती है. मां सिंह की सवारी करती है और इनकी चार भुजाएं होती हैं.
अगर सच्चे मन से मां कात्यायनी की उपासना की जाए तो वे हर कष्ट दूर करेंगी. घर में सुख शांति आएगी और धन की वृद्धि होगी. साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है.
मां कात्यायनी के बारे में कहा जाता है कि इनका जन्म महर्षि कात्यायन के घर हुआ था. महर्षि कात्यायन ने घोर तपस्या करके मां दुर्गा को प्रसन्न किया था, जिसके बाद मां दुर्गा ने खुश होकर उन्हें वरदान दिया कि उनके घर पुत्री का जन्म हो. जिसके बाद ही उनका नाम कात्यायनी रखा गया.
इन्होंने महिषासुर राक्षस का वध किया था, जिस कारण इन्हें महिषासुर मर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है.
चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दूलवर वाहना|
कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानव घातिनि||
मां कात्यायनी की पूजा करने के लिए सबसे पहले फूलों से मां को प्रणाम करें और मंत्र का ध्यान करें. इसके साथ ही आज के दिन दुर्गा सप्तशती के 11वें अध्याय का पाठ किया जाता है. देवी को फूल और जायफल अर्पित किए जाते हैं.
मां कात्यायनी के साथ भगवान शिव की पूजा भी इस दिन की जाती है. पूजा समाप्त होने के बाद घर के सभी लोगों के हाथ में कलावा बांधें.
पुराणों में कहा गया है कि मां की पूजा करने से गृहस्थ लोगों के जीवन में खुशहाली आती है. इनकी पूजा करना विवाह योग्य लोगों के लिए काफी शुभ माना गया है.
मां को लाल रंग और शहद बहुत पसंद हैं, इसलिए इस दिन लाल रंग के कपड़े पहनें और शहद का भोग लगाएं.
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