Tulsi Vivah 2023 Date and Time: कब है तुलसी विवाह, तुलसी विवाह कैसे करें

Tulsi Vivah 2023 Date: हिन्दू धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व होता हैं, हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल कार्तिक मास के शुल्क पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह का पर्व मनाया जाता हैं.

अंशुल जैन
धर्म और अध्यात्म
Published:
<div class="paragraphs"><p>Tulsi Vivah&nbsp;</p></div>
i

Tulsi Vivah 

(फोटो- I STOCK)

advertisement

Tulsi Vivah 2023 Date and Time: हिन्दू धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व होता हैं, हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल कार्तिक मास के शुल्क पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह का पर्व मनाया जाता हैं. वैसे हर साल देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह किया जाता है लेकिन इस साल तुलसी विवाह 24 नवंबर के दिन होगा. माना जाता है कि तुलासी विवाह करने से कन्या दान के बराबर फल प्राप्त होता है.

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार माता तुलसी ने भगवान विष्णु को नाराज होकर श्राम दे दिया था कि तुम काला पत्थर बन जाओगे. इसी श्राप की मुक्ति के लिए भगवान ने शालीग्राम पत्थर के रूप में अवतार लिया शालीग्राम (shaligram vivah) को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है और तुलसी को मां लक्ष्मी का अवतार माना जाता है.

तुलसी विवाह पूजा का समय

  • तुलसी विवाह शुक्रवार, 24 नवम्बर, 2023 को

  • द्वादशी तिथि प्रारम्भ - 23 नवम्बर, 2023 को 09:01 पी एम बजे से

  • द्वादशी तिथि समाप्त - 24 नवम्बर, 2023 को 07:06 पी एम बजे तक

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

तुलसी विवाह पूजन विधि (Tulsi Vivah Pujan Vidhi)

  • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करें और व्रत का संकल्प लें.

  • इसके बाद भगवान विष्णु की आराधना करें.

  • एक चौकी पर तुलसी का पौधा और दूसरी चौकी पर शालिग्राम को स्थापित करें.

  • इसके बाद बगल में एक जल भरा कलश रखें, और उसके ऊपर आम के पांच पत्ते रखें.

  • तुलसी के गमले में गेरू लगाएं और घी का दीपक जलाएं, फिर तुलसी और शालिग्राम पर गंगाजल का छिड़काव करें और रोली, चंदन का टीका लगाएं.

  • तुलसी के गमले में ही गन्ने से मंडप बनाएं, अब तुलसी को लाल चुनरी सिर में डालें.

  • गमले को साड़ी लपेट कर उनका दुल्हन की तरह श्रृंगार करें.

  • इसके बाद शालिग्राम को चौकी समेत हाथ में लेकर तुलसी की सात बार परिक्रमा की जाती है, इसके बाद आरती करें.

  • तुलसी विवाह संपन्न होने के बाद सभी लोगों को प्रसाद बांटे.

तुलसी विवाह का महत्व

मान्यता है कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीनों के लिए सोते हैं और कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं. इसी के साथ इस दिन से विवाह, गृह प्रवेश, उपनयन संस्कार के सभी मुहूर्त शुरू हो जाते हैं. इस खास मौके पर भगवान शालिग्राम का तुलसी माता से विवाह करने की परंपरा है.

इस विवाह में तुलसी दुल्हन और शालिग्राम दुल्हा बनते हैं. मान्यता के अनुसार तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी और भगवान शालिग्राम की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उनके वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है.

तुलसी विवाह पूजा सामग्री

तुलसी का पौधा, भगवान विष्णु की प्रतिमा, चौकी, गन्ना, मूली, आंवला, बेर, सिंघाड़ा, सीताफल, मंगूफली, अमरूद सहित अन्य मौसमी फल धूप, दीपक, वस्त्रफूल और माला, सुहाग का सामान, सुहाग का प्रतीक, लाल चुनरी, साड़ी, हल्दी, कुमकुम, कलाश, जल, पान के पत्ते, कपूर, आरती का सामना, प्रसाद, धूप-दीप आदि.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT