Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Zindagani Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Dharma our aadhyatma  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Vijaya Ekadashi 2024: विजया एकादशी इस दिन, जानें मुहूर्त,पारण तिथि व पूजन विधि

Vijaya Ekadashi 2024: विजया एकादशी इस दिन, जानें मुहूर्त,पारण तिथि व पूजन विधि

Vijaya Ekadashi 2024: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विजया एकादशी व्रत के दिन पूजा-पाठ और स्नान-दान करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है, साथ ही अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.

अंशुल जैन
धर्म और अध्यात्म
Published:
<div class="paragraphs"><p>Vijaya Ekadashi 2024</p></div>
i

Vijaya Ekadashi 2024

(फोटो- Twitter)

advertisement

Vijaya Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व होता है, साल में कुल 24 एकादशी आती हैं और प्रत्येक एकादशी का अपना अलग महत्व है. फाल्गुन मास (Falgun Ekadashi) के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी का जाता हैं. इस साल विजया एकादशी 6 मार्च बुधवार के दिन मनाई जाएगी. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की उपासना का विधान है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विजया एकादशी व्रत के दिन पूजा-पाठ और स्नान-दान करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है, साथ ही अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. इसके अलावा किसी भी नए कार्य की शुरुआत के लिए विजया एकादशी का दिन शुभ माना जाता है. इस दिन शुरू किया गया कोई भी कार्य भगवान विष्णु की कृपा से संपन्न होता है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

Vijaya Ekadashi 2024: विजया एकादशी कब और व्रत पारण तिथि

  • विजया एकादशी बुधवार, 6 मार्च, 2024 को मनाई जाएगी.

  • 7 मार्च को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 01:43 पी एम से 04:04 पी एम

  • पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय - 09:30 ए एम

  • वैष्णव विजया एकादशी बृहस्पतिवार, मार्च 7, 2024 को

  • 8 मार्च को, वैष्णव एकादशी के लिए पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 06:38 ए एम से 09:00 ए एम

  • पारण के दिन द्वादशी सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाएगी.

Vijaya Ekadashi 2024 Shubh Muhurat: विजया एकादशी शुभ मुहूर्त

  • एकादशी तिथि प्रारम्भ - मार्च 06, 2024 को 06:30 ए एम बजे

  • एकादशी तिथि समाप्त - मार्च 07, 2024 को 04:13 ए एम बजे

Vijaya Ekadashi 2024: पूजन विधि

  • एकादशी के दिन पंचपल्लव कलश में रखकर भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना करें.

  • धूप, दीप, चंदन, फल, फूल व तुलसी आदि से श्री हरि की पूजा करें.

  • उपवास के साथ-साथ भगवन कथा का पाठ व श्रवण करें और रात्रि में श्री हरि के नाम का ही भजन कीर्तन करते हुए जागरण करें.

  • द्वादशी के दिन ब्राह्ण को भोजन आदि करवाएं व कलश को दान कर दें, तत्पश्चात व्रत का पारण करें.

  • व्रत से पहली रात्रि में सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिये, ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिये.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT