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Ahoi Ashtami Vrat 2021: अहोई अष्टमी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है, जो इस साल 28 अक्टूबर को मनाई जाएगी. इस दिन माता पार्वती के अहोई स्वरूप की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है. अहोई अष्टमी के दिन माताएं अपने पुत्रों की भलाई के लिए सुबह से शाम तक उपवास करती है.
शाम के समय आकाश में तारे देखने के बाद उपवास तोड़ा जाता है. कुछ महिलाएं चंद्रमा को देखने के बाद व्रत तोड़ती हैं, लेकिन अहोई अष्टमी के दिन चंद्रमा के देर से उदय होने के कारण इसका पालन करना मुश्किल हो सकता है. मान्यताओं के अनुसार, अहोई अष्टमी का व्रत और पूजा करने से अहोई माता संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देती हैं.
अहोई अष्टमी व्रत का दिन दिवाली पूजा से लगभग आठ दिन पहले और करवा चौथ के चार दिन बाद पड़ता है. करवा चौथ के समान, अहोई अष्टमी उत्तर भारत में अधिक लोकप्रिय है. इस दिन को अहोई आठ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि अहोई अष्टमी का उपवास अष्टमी तिथि के दौरान किया जाता है जो महीने की आठवीं तिथि होती है.
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 28 अक्टूबर को दिन के 12 बजकर 49 मिनट से.
अष्टमी तिथि समाप्त: 29 अक्टूबर को दिन के 02 बजकर 09 मिनट तक.
पूजा का मुहूर्त: 28 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 39 मिनट से शाम 06 बजकर 56 मिनट तक.
कुल अवधि: 1 घंटे 17 मिनट.
तारों को देखने का समय: शाम 06 बजकर 03 मिनट.
चंद्रोदय का समय: रात 11 बजकर 29 मिनट.
अहोई अष्टमी का व्रत निर्जला रखा जाता है. व्रत रखने के लिए महिलाएं सुबह उठकर एक मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर रखती हैं. इसके बाद माता अहोई का ध्यान करते हुए अपनी संतान के खुशहाल जीवन की कामना के लिए विधि-विधान से पूजा करती हैं. इस दिन ज्यादातर घरों में कच्चा खाना जैसे- कढ़ी-चावल, दाल-चावल आदि बनाने का चलन है.
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