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Bhaum Pradosh Vrat: हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद (Bhadrapad) माह में भौम प्रदोष व्रत रखा जाता है, जो कि 12 सितंबर के दिन रखा जाएगा, इस दिन हैं मंगलवार जिसके चलते इस प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है, ऐसे में हम आपकों इस प्रदोष व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त व पूजा विधि बता रहे हैं.
पंचांग के अनुसार, हर माह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है. सिंतबर और भाद्रपद माह का यह पहला प्रदोष होगा जो कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर यानी 12 सितंबर के दिन रखा जाएगा.
मंगलवार होने के चलते यह भौम प्रदोष व्रत होगा. त्रयोदशी तिथि 11 सितंबर की रात 11 बजकर 52 मिनट से शुरू हो रही है और इसका समापन 13 सितंबर सुबह 2 बजकर 21 मिनट पर होगा. इस चलते व्रत की सही तारीख 12 सितंबर होगी.
भौम प्रदोष व्रत में पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 30 मिनट से रात 8 बजकर 49 मिनट तक है. मंगलवार के दिन पड़ने के चलते इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ बजरंगबली (Bajrangbali) का पूजन भी किया जाता है.
पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं और व्रत का संकल्प लेते हैं.
इसके बाद भोलेनाथ का ध्यान किया जाता है.
प्रदोष व्रत की असल पूजा रात के समय की जाती है.
बजरंगबली का पूजन भी भक्त रात में ही करते हैं.
पूजा सामग्री में फल, फूल, धतूरा, गंगाजल, धूपबत्ती, सफेद फूल, चंदन, काले तिल और बेलपत्र आदि शामिल किए जाते हैं.
भोलेनाथ की आरती की जाती है और भोग लगाकर पूजा का समापन होता है.
ऊं नम: शिवाय
ऊं आशुतोषाय नम:
ऊं नमो धनदाय स्वाहा
ऊं ह्रीं नम: शिवाय ह्रीं ऊं
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