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Kamada Ekadashi Vrat 2024: कामदा एकादशी व्रत कब रखा जाएगा ? जानें पारण मुहूर्त व पूजा विधि

Kamada Ekadashi Vrat 2024: चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कामदा एकादशी (Kamada Ekadashi) का व्रत रखा जाता है.

अंशुल जैन
धर्म और अध्यात्म
Published:
<div class="paragraphs"><p>Kamada Ekadashi Vrat 2024</p></div>
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Kamada Ekadashi Vrat 2024

(फोटो-क्विंट)

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Kamada Ekadashi Vrat 2024: हिंदू धर्म में हर एकादशी का विशेष महत्व होता है, हर महीने में 2 एकादशी आती हैं. ऐसे में सालभर में कुल मिलाकर 24 एकादशी होती है. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कामदा एकादशी (Kamada Ekadashi) का व्रत रखा जाता है. चैत्र नवरात्रि और राम नवमी के बाद यह पहली एकादशी होती है, मान्यता हैं इस व्रत को करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिल जाती है.

वहीं पद्म पुराण के अनुसार भी कामदा एकादशी व्रत करने से मनुष्य को बड़े से बड़े पापों से मुक्ति मिलती है. ऐसे में भगवान विष्णु और मंत्र का जाप करने से पापों मुक्ति मिलती है, इसलिए कामदा एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा के साथ रखना चाहिए. कामदा एकादशी का फलदा एकादशी का नाम से जाना जाता है. आइए जानते हैं कामदा एकादशी व्रत की तारीख और पूजा विधि.

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Kamada Ekadashi Vrat 2024: कामदा एकादशी तिथि प्रारंभ व समाप्त

  • कामदा एकादशी शुक्रवार, 19 अप्रैल, 2024 के दिन पड़ी हैं.

  • 20 अप्रैल को पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 05:50 ए एम से 08:26 ए एम

  • पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 10:41 पी एम

  • एकादशी तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 18, 2024 को 05:31 पी एम बजे

  • एकादशी तिथि समाप्त - अप्रैल 19, 2024 को 08:04 पी एम बजे

कामदा एकादशी व्रत पूजा विधि

  • कामदा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें.

  • इसके बाद अपने पूजा स्थल पर जाएं और एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें.

  • इसके बाद एक लोटे में जल लेकर उसमें तिल, रोली और अखंड अक्षत लेकर भगवान विष्णु का अभिषेक करें, इसके बाद भगवान विष्णु को फल, फूल, दूध, पंचामृत तिल अर्पित करें.

  • इसके बाद घी का दीपक जलाएं और भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें और फिर कामदा एकादशी व्रत की कथा जरुर पढ़े.

  • याद रखें की पूजा पाठ के बाद ब्राह्मण या किसी गरीब व्यक्ति को भोजन जरुर कराएं और एकादशी व्रत का पारण अगले दिन द्वादशी तिथि में ही करें.

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