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Chaitra Navratri Day 2 : 9 अप्रैल 2024 से चैत्र नवरात्रि की शुरूआत हो चुकी है आज नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी (Ma Brahmacharini) की आराधना की जाती है. ब्रह्मचारिणी नाम ब्रह्म से शुरू होता है. 'ब्रह्म' शब्द का अर्थ है- तपस्या और 'चारिणी' का मतलब होता है- आचरण. इस तरह मां ब्रह्मचारिणी के नाम का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली. शास्त्रों के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह की शासक हैं. वह भाग्य दाता हैं और अपने भक्तों के दुख-दर्द को दूर करती हैं. मंगल दोष और कुंडली में मंगल प्रतिकूल स्थिति से होने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है.
मान्यता है मां ब्रह्मचारिणी को चमेली का फूल काफी पसंद है, पूजा करते समय चमेली का फूल अर्पित करने वालें को मां का विशेष आशीर्वाद मिलता है. मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में जप करने वाली माला और दूसरे में कमंडल होता है.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए सबसे पहले सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए लाल, पीले या सफेद रंग के वस्त्र धारण करते हैं.
अब व्रत का संकल्प लें.
पूजा में मां को उनकी पसंद की चीजें अर्पित की जाती हैं.
भक्त 'ऊं ऐं नम:' मंत्र का 108 बार जाप करते हैं.
या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू.
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।
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