Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Zindagani Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Dharma our aadhyatma  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Tulsi Vivah 2022: क्यों होता तुलसी विवाह? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त व पूजन विधि

Tulsi Vivah 2022: क्यों होता तुलसी विवाह? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त व पूजन विधि

Tulsi Vivah 2022: इसी के साथ इस दिन से विवाह, गृह प्रवेश, उपनयन संस्कार के सभी मुहूर्त शुरू हो जाते हैं.

क्विंट हिंदी
धर्म और अध्यात्म
Published:
<div class="paragraphs"><p>Tulsi Vivah 2022</p></div>
i

Tulsi Vivah 2022

(फोटो-Istock)

advertisement

Tulshi Vivah 2022: हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व होता है. हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है, इस एकादशी को 'देवउठनी एकादशी' कहा जाता है. इस बार तुलसी विवाह 5 नवंबर, शनिवार को होगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी और भगवान शालिग्राम की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उनके वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है.

तुलसी विवाह का महत्व

मान्यता है कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीनों के लिए सोते हैं और कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं. इसी के साथ इस दिन से विवाह, गृह प्रवेश, उपनयन संस्कार के सभी मुहूर्त शुरू हो जाते हैं.

इस खास मौके पर भगवान शालिग्राम का तुलसी माता से विवाह करने की परंपरा है. इस विवाह में तुलसी दुल्हन और शालिग्राम दुल्हा बनते हैं. ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से एक हजार अश्वमेध यज्ञ करने जितना फल मिलता है. कई जगह एकादशी को छोटी दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

तिथि और मुहूर्त

  • तुलसी विवाह शनिवार, नवम्बर 5, 2022 को

  • द्वादशी तिथि प्रारम्भ - नवम्बर 04, 2022 को 06:08 पी एम बजे

  • द्वादशी तिथि समाप्त - नवम्बर 05, 2022 को 05:06 पी एम बजे

तुलसी विवाह पूजन विधि

  • इस दिन महिलाएं सुबह उठकर स्नान कर नए वस्त्र धारण करें.

  • पूजन स्थल को साफ-सुथरा कर फूल, अरिपन आदि से अच्छे से सजायें.

  • तुलसी माता का सोलह श्रृंगार कर चुनरी ओढ़ायें, फिर तुलसी के पौधे के नजदीक शालिग्राम भगवान की मूर्ति स्थापित करें.

  • इसके बाद दोनों की शोडषोपचार विधि से पूजा करें.

  • पूजा के बाद भगवान शालिग्राम को हाथों में लेकर तुलसी के चारों ओर परिक्रमा करें.

  • फिर तुलसी को शालिग्राम की बाईं और रखकर उन दोनों की आरती उतारें और विवाह संपन्न होने की घोषणा करें.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT