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सेक्स वर्कर के आंगन की मिट्टी से बनती है मां दुर्गा की मूर्ति

मां दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए क्यों होती है वेश्यालय की मिट्टी का इस्तेमाल?

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मां दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए क्यों होती है वेश्यालय की मिट्टी का इस्तेमाल?
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मां दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए क्यों होती है वेश्यालय की मिट्टी का इस्तेमाल?
फोटो: अभिलाष मलिक 

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नवरात्रि में मा दुर्गा की पूजा का महत्व है. 9 से 10 दिन तक चलने वाले इस त्यौहार में मान्याताओं के अनुसार माता दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए 4 चीजें सबसे ज्यादा जरूरी हैं. जिसमें गंगा तट की मिट्टी, गोमूत्र, गोबर और वेश्यालय की मिट्टी शामिल है.

ये हैरान कर देने वाली बात है कि जिस समाज में सेक्स वर्कर्स को बराबर का दर्जा नहीं मिलता, उसी देश में मां दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए उन्हीं के आंगन की मिट्टी की जरूरत होती है. ये मान्यता आज की नहीं, बल्कि सालों पुरानी है. इस मान्यता के मुताबिक अगर मां दुर्गा की मूर्ति में वेश्यालय की मिट्टी शामिल नहीं होती तो उस प्रतिमा को पूरा नहीं माना जाता.

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क्या है इसके पीछे की कहानी

इस परंपरा के पीछे एक कहानी बताई जाती है कि प्राचीन काल में एक वेश्या मां दुर्गा की बड़ी भक्त थी. उस वेश्या को समाज के तिरस्कार से बचाने के लिए मां दुर्गा ने उसे ये वरदान दिया था कि उसके वेश्यालय की मिट्टी का इस्तेमाल जब तक प्रतिमा में नहीं किया जाएगा तब तक वो प्रतिमाएं पूरी नहीं मानी जाएंगी.

एक और मान्यता...

एक मान्यता ये भी है कि दुर्गा असल में महिषासुर का वध करने वाली देवी हैं. माना जाता है कि महिषासुर ने देवी दुर्गा के सम्मान के साथ खिलवाड़ किया था और इसी कारण मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया और उसके बाद से ये परंपरा शुरू हुई की मां दुर्गा को बनाने वाली मिट्टी वेश्यालय से आएगी.

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वक्त से साथ बदलाव

वक्त से साथ परंपराओं में भी बदलाव आते हैं. इस प्रथा में भी कई बदलाव आए. मान्यता के अनुसार पहले सिर्फ मंदिर के पुजारी वेश्यालयों से मिट्टी मांग कर लाया करते थे. लेकिन अब मूर्तिकार भी मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने के लिए वेश्यालय से मिट्टी लाया करते हैं.

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