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ऐसी मान्यता है कि दिवाली पर साफ-सुथरे और दीपों से सजे घर-आंगन में लक्ष्मी आती हैं. लेकिन क्या केवल इतनी-सी बात लक्ष्मी के आने और घर में स्थायी रूप से उनके टिके रहने के लिए काफी है? दरअसल, साफ-सफाई और साज-सज्जा केवल बाहरी चीजें हैं, जबकि धन-वैभव स्थायी रूप से पाने के लिए कई आंतरिक गुणों का होना बेहद जरूरी है.
लक्ष्मी किसके पास आती हैं और किसके पास नहीं, लक्ष्मी पाने के लिए क्या-क्या करना चाहिए, किन-किन दुर्गुणों को छोड़ देना चाहिए, इसके बारे में धर्मग्रंथों में कई जगहों पर चर्चा है. महाभारत के उद्योग पर्व में भी इस बारे में अच्छी नीति बताई गई है, जो विदुरनीति के नाम से जानी जाती है.
इस उद्योग पर्व के 8 अध्यायों में संस्कृत श्लोकों के रूप में हर तरह की नीतियों का जिक्र हैं, जिनमें महात्मा विदुर ने राजा धृतराष्ट्र से कई टॉपिक पर चर्चा की है. विदुर की कही उन बातों पर एक नजर डालिए, जो उन्होंने लक्ष्मी पाने को लेकर कही हैं.
विदुर ने लक्ष्मी आने और उनके टिकने को लेकर विस्तार से बताया है. उन्होंने इसके लिए जिन गुणों को जरूरी बताया है, वे हैं- अच्छे काम, प्रगल्भता, चतुराई और संयम. वे कहते हैं:
श्रीर्मंगलात् प्रभवति प्रागल्भ्यात् सम्प्रवर्धते ।
दाक्ष्यात्तु कुरुते मूलं संयमात् प्रतितिष्ठति ॥
एक बार धन-वैभव आ जाए, तो यह कैसे बढ़े, इस बारे में विदुर ने सात गुणों का होना जरूरी बताया है. वे कहते हैं:
''धैर्य, मनोनिग्रह (मन को काबू में रखना), इन्द्रिय संयम, पवित्रता, दया, कोमल वाणी और मित्र से झगड़ा न करना- ये 7 बातें लक्ष्मी को बढ़ाने वाली हैं.''
धन पाने के लिए यह बहुत जरूरी भविष्य की चुनौतियों से निपटने की प्लानिंग पहले ही कर ली जाए. अगर आज के संदर्भ में देखें, तो हेल्थ इंश्योरेंस, टर्म इंश्योरेंस, एसआईपी या अन्य सुरक्षित निवेश इसका हिस्सा हो सकते हैं. साथ ही जो काम सामने है, उस पर तो पूरा फोकस होना ही चाहिए.
इस बारे में विदुर कहते हैं:
आयत्यां प्रतिकारज्ञस्तदात्वे दृढनिश्चयः।
अतीते कार्यशेषज्ञोः नरोऽर्थैर्न प्रहीयते॥
ऐसा भी देखा गया है कि एक बार कामयाबी मिल जाने पर लोग ढीले पड़ जाते हैं और मेहनत में कोताही करना शुरू कर देते हैं. तरक्की की राह में ये बाधक है. विदुर के शब्दों में:
''उद्योग (परिश्रम) में लगे रहना, उससे अलग न होना, धन, लाभ और कल्याण का मूल है. इसलिए उद्योग न छोड़ने वाला मनुष्य महान हो जाता है और अनंत सुख का उपभोग करता है.''
नीति में निपुण महात्मा बताते हैं कि जो लोग हमेशा किसी न किसी बात का रोना रोते रहते हैं, जिनके भीतर कुछ करने का उत्साह नहीं है, उनके लिए धन-संपन्नता पाना बहुत मुश्किल है:
''जो दु:ख से पीड़ित, प्रमादी, नास्तिक, आलसी, अजितेंद्रिय और उत्साह से रहित हैं, उनके यहां लक्ष्मी का वास नहीं होता.''
एक अन्य श्लोक में 6 दुर्गुणों को छोड़ने की सलाह दी गई है:
षड् दोषा: पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता।
निद्रा तन्द्रा भयं क्रोध आलस्यं दीर्घसूत्रता।।
विदुर बताते हैं कि लक्ष्मी न तो बहुत गुणवान लोगों के पास रहती हैं, न ही बहुत निर्गुण व्यक्ति के पास. वे न तो ढेर सारे गुणों को चाहती हैं, न ही गुणहीन लोगों के प्रति स्नेह रखती हैं.
एक अन्य श्लोक में उन्होंने बताया है कि लक्ष्मी इन लोगों के पास डर के मारे नहीं जाती हैं:
एक दूसरे श्लोक में कहा गया है कि धन आ जाने पर मोटे तौर पर उसे दो तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं. धन दान करना चाहिए, साथ ही उनका उचित तरीके से उपभोग भी करना चाहिए.
तो इस बार दीपावली पर केवल घरों को सजाना है या कुछ 'तूफानी' करना है? हैपी दिवाली!
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