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14 दिसंबर को उस शायर का जन्मदिन है, जो जवानी में ही मर जाना चाहता था. वो कहता था कि बुढ़ापे की मौत सबसे जलील मौत होती है. इस शायर को सुनकर सब बर्बाद जिंदगी की आरजू किया करते थे. इसने कहा था, “हालत-ए-हाल के सबब हालत-ए-हाल ही गई, शौक में कुछ नहीं गया, शौक की जिंदगी गई’’
जौन एलिया उर्दू के एक महान शायर हैं, इनका जन्म 14 दिसंबर 1931 को अमरोहा में हुआ था. यह अब के शायरों में सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले शायरों में शुमार हैं. ‘शायद’, ‘यानी’, ‘गुमान’ इनके प्रमुख संग्रह हैं. इनकी मृत्यु 8 नवंबर 2004 में हुई. जौन सिर्फ पाकिस्तान में ही नहीं हिंदुस्तान व पूरे विश्व में अदब के साथ पढ़े और जाने जाते हैं.
जौन साहब अपने खास अंदाज से शायरी कहने के लिए जाने जाते थे. उन्हें जवान लोगों के बीच सबसे ज्यादा प्रसिद्धि मिली.
पढ़िए उनके कुछ मशहूर शेर :
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