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पाकिस्तान के कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना की आज पुण्यतिथि है. जिन्ना को लेकर कई बातें सामने आती रहीं हैं, इसी कड़ी में एक दास्तान नैनीताल की भी है. वो शहर जिसका एक होटल मोहम्मद अली जिन्ना की मोहब्बत का गवाह रहा है. एक अधूरी प्रेम कहानी.
ये भव्य आलीशान होटल उपेक्षा के चलते खंडहर में तब्दील हो गया, जबकि जिन्ना और उनकी दूसरी पत्नी रतनबाई की प्रेम कहानी अगाध प्रेम से भरपूर होने के बावजूद स्वतंत्रता संग्राम की पृष्ठभूमि में असमय अलगाव की भेंट चढ़ गयी. स्टेनले वालपोर्ट ने जिन्ना की जीवनी 'जिन्ना आफ पाकिस्तान' में इन तमाम बातों का जिक्र किया है.
साल 1916 में 40 साल जिन्ना मुंबई के एक जाने—माने वकील थे और कारोबारियों में काफी लोकप्रिय थे. उन्हीं कारोबारियों में उनके एक पारसी मुवक्क्लि और दोस्त दिनशा मानिकशा पेटिट भी थे. पेटिट की पत्नी जेआरडी टाटा की बहन साइला थीं. पेटिट दंपति की बेटी रतनबाई बहुत सुंदर थीं और जिन्ना से पहली मुलाकात के समय उनकी उम्र सिर्फ 16 साल थी . अपनी सुंदरता और बुद्धिमत्ता के कारण रतनबाई को 'नाइटिंगेल आफ बॉम्बे' कहा जाता था. उम्र में24 साल छोटी होने के बावजूद रतनबाई से जिन्ना को लगाव हो गया. ये प्रेम दोतरफा था.
जिन्ना की पहले शादी हो चुकी थी लेकिन विवाह के कुछ महीनों बाद ही पत्नी का निधन हो गया. तब से जिन्ना विधुर की जिंदगी ही गुजार रहे थे . रतनबाई उन्हें भा गई थीं. रतनबाई के पिता को ये रिश्ता नागवार गुजरा और उन्होंने उन्हें घर में बंद कर दिया. हालांकि, दोनों के बीच प्रेम इतना गहरा था कि 18 साल की होते ही रतनबाई अपने परिवार से सारे रिश्ते तोड़कर जिन्ना के पास चली आईं.
साल 1929 में केवल 29 साल की उम्र में रतनबाई का निधन हो गया. जिन्ना के साथ उनके रिश्ते में अलगाव भले ही पैदा हो गया था लेकिन उनके बीच कड़वाहट कभी नहीं आई . अपने अंतिम समय तक रतनबाई दिल को छू लेने वाले प्रेम पत्रों के जरिये जिन्ना के प्रति अपना प्रेम प्रदर्शित करती रहीं और जिन्ना ने भी अपना प्यार खो देने के बाद दोबारा शादी नहीं की. जिन्ना को अपने कड़क स्वभाव के लिए जाना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जिन्ना अपनी पूरी जिंदगी में सार्वजनिक रूप से केवल दो बार रोते देखे गये— एक बार पत्नी के निधन पर और दूसरी बार पाकिस्तान जाने से पहले आखिरी बार उसकी कब्र पर जाकर.
किताब के अनुसार, वक्त बदला और जिन्ना के जीवन में ही इतिहास ने एक बार फिर खुद को दोहराया. फर्क बस इतना था कि पिछली बार खुद प्रेम का शिकार हुए जिन्ना अब एक ऐसे पिता थे जिनकी पुत्री धर्म से बाहर प्रेमपाश में बंध गयी. नियति को जैसा मंजूर था, जिन्ना और रतनबाई की पुत्री दीना को एक पारसी से प्यार हो गया और अपने पिता के लाख विरोध के बावजूद दीना ने अपने परिवार से संबंध तोड़ते हुए नावेल से उसी तरह शादी कर ली जैसे रतनबाई ने जिन्ना से की थी.
दीना के यह कदम उठाते ही समय ने जैसे अपना चक्र पूरा कर लिया . दीना के पुत्र नुस्ली वाडिया भारत के एक प्रसिद्ध उद्योगपति हैं. जिन्ना ने उसके बाद अपनी बेटी से कभी संपर्क नहीं किया लेकिन एक आश्चर्यजनक तथ्य है कि 15 अगस्त 1947 की अलस्सुबह पाकिस्तान के जन्म के रूप में साकार होने वाले उनके स्वप्न से बरसों पहले उसी दिन 15 अगस्त 1919 को उनके घर में उनकी पुत्री दीना का जन्म हुआ था . यह भी एक रोचक तथ्य है कि पाकिस्तान को अस्तित्व में लाने वाले जिन्ना की संतान हमेशा भारत में ही रही और जिन्ना पाकिस्तान में अपने किसी वंशज को छोडे़ बिना दुनिया से रूखसत हो गये.
(इनपुट: एजेंसी)
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