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‘यह लेख पहली बार 18 दिसंबर, 2018 को प्रकाशित किया गया था, आज मशहूर शायर अदम गोंडवी की जन्मतिथि के मौके पर इस लेख दोबारा प्रकाशित किया जा रहा है.’
अदम गोंडवी अपने विद्रोही तेवरों के लिए जाने जाते हैं. सियासत और सत्ता पर अपने अल्फाजों से वार करना ही उनकी लेखनी की सबसे बड़ी खासियत थी. उनके ये बगावती जज्बात और तीखे तेवर आप उनके लिखे गजलों और शेरों में बखूबी देख सकते हैं.
अपने दौर में अदम गोंडवी की पहचान कुछ यूं हुआ करती थी - मुशायरों में घुटनों तक मटमैली धोती, सिकुड़ा मटमैला कुर्ता और गले में सफेद गमछा डाले एक ठेठ देहाती इंसान, जिसकी ओर आपका ध्यान शायद ही जाए...मगर वो अचानक माइक पे आ जाए और फिर ऐसी रचनाएं पढे़ कि आपका ध्यान और कहीं जाए ही न, तो समझिए वो इंसान और कोई नहीं, अदम गोंडवी हैं.
राम नाथ सिंह, जिन्हें हम अदम गोंडवी के नाम से भी जानते हैं, आज उनकी जन्मतिथि है. उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले से ताल्लुक रखने वाले गोंडवी ने मुख्य तौर पर गजल विधा में अपनी रचनाएं लिखीं.
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