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बाबासाहेब पुरंदरे: प्रसिद्ध इतिहासकार, लेखक और थियेटर के दिग्गज का निधन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबासाहेब पुरंदरे के निधन पर शोक व्यक्त किया.

क्विंट हिंदी
जिंदगी का सफर
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<div class="paragraphs"><p>बाबासाहेब पुरंदरे का निधन</p></div>
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बाबासाहेब पुरंदरे का निधन

(फोटो: IANS/Altered by Quint)

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प्रसिद्ध इतिहासकार, लेखक और थियेटर के दिग्गज बलवंत मोरेश्वर उर्फ (Babasaheb Purandare) का 15 नवंबर की सुबह निधन हो गया. पद्म विभूषण से सम्मानित, पुरंदरे ने पुणे में सुबह लगभग 5 बजे दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र में अंतिम सांस ली. पुरंदरे का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा.

सुबह से ही उनके हजारों प्रशंसक उनके पुणे स्थित घर के बाहर कतार में लग गए, जहां उनके शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है.

न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, 99 साल के पुरंदरे को एक हफ्ते पहले निमोनिया का पता चला था और उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले, NCP प्रमुख शरद पवार और रंगमंच की दुनिया के लोगों ने बाबासाहेब पुरंदरे के निधन पर शोक व्यक्त किया.

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छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरित थे पुरंदरे

29 जुलाई, 1922 को पुणे के पास सासवड में जन्मे पुरंदरे कम उम्र से ही छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरित थे. उन्होंने निबंध और कहानियां लिखीं, जिन्हें बाद में एक पुस्तक रूप 'थिनाग्य' (स्पार्क्‍स) में प्रकाशित किया गया.

अपने लेखन और थियेटर करियर के आठ दशकों में, पुरंदरे ने छत्रपति शिवाजी महाराज पर 12,000 से ज्यादा व्याख्यान दिए, मराठा साम्राज्य के सभी किलों और इतिहास का अध्ययन किया, जिससे उन्हें इस विषय पर अधिकार मिला.

उन्होंने एक ऐतिहासिक नाटक 'जांता राजा' (1985) लिखा और निर्देशित किया, जो 200 से अधिक कलाकारों द्वारा प्रदर्शित एक नाटकीय कृति है, जिसका पांच भाषाओं में अनुवाद और अभिनय किया गया है और महाराष्ट्र, गोवा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और संयुक्त राज्य अमेरिका में 1,250 से अधिक स्टेज शो देखे गए हैं.

बाबासाहेब पुरंदरे

(फोटो: IANS)

उनके प्रमुख कार्यों में स्मारकीय दो खंड 'राजे शिवछत्रपति', 'जांता राजा', 'महाराज', 'शेलारखिंड', 'गडकोट किल्ले', 'आगरा', 'लाल महल', 'पुरंदर', 'राजगढ़', 'पन्हलगढ़', 'सिंहगढ़', 'प्रतापगढ़', 'पुरंदरियांची दौलत', 'मुजयार्चे मंकारी', 'फुलवंती', 'सावित्री', 'कलावंतिनिचा सज्जा' हैं.

उन्हें 2019 में 'महाराष्ट्र भूषण' (2015) और देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया गया था.

(इनपुट्स- IANS)

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