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जब बाल ठाकरे ने अपने कार्टूनों से इंदिरा गांधी को बनाया निशाना

बाल ठाकरे ने अपने करियर की शुरुआत एक कार्टूनिस्ट के तौर पर फ्री प्रेस जर्नल से की थी

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बाला साहेब ठाकरे देश के टॉप कार्टूनिस्टों में से एक थे 
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बाला साहेब ठाकरे देश के टॉप कार्टूनिस्टों में से एक थे 
फोटो: Twitter 

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बाला साहेब ठाकरे एक बड़े राजनेता होने के साथ आला दर्जे के कार्टूनिस्ट भी थे. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक कार्टूनिस्ट के तौर पर फ्री प्रेस जर्नल पत्रिका से की थी. उनके बनाये हुए कार्टून संडे के टाइम्स ऑफ इंडिया में भी छपते थे. बाद में उन्होंने कार्टून पत्रिका मार्मिक शुरू की. मार्मिक के लिए बनाए कार्टून काफी लोकप्रिय हुए . उनके कई राजनीतिक कार्टूनों को काफी सराहना मिली.

बाल ठाकरे पर एक किताब लिख चुकीं वरिष्ठ पत्रकार सुजाता आनंदन ने बीबीसी को ये बताया कि फ्री प्रेस पत्रिका में बाबा साहेब के साथ आर.के.लक्ष्मण भी काम करते थे, जिनके बनाए कार्टूनों को पत्रिका में ज्यादा महत्व मिलता था. बाल ठाकरे को लगा के उनके साथ भेद भाव हो रहा है और आर के. लक्ष्मण को दक्षिण भारतीय होने का फायदा मिल रहा है. 

कार्टून के जरिये इंदिरा गांधी को बनाया निशाना

बाल ठाकरे ने 1960 में अपने भाई के साथ मिलकर कार्टून संबंधी एक साप्ताहिक पत्रिका 'मार्मिक' की शुरुआत की. उन्होंने इस पत्रिका का इस्तेमाल गैर-मराठी लोगों की बढ़ती संख्या और प्रभाव के खिलाफ अभियान चलाने के लिए किया. बाल ठाकरे ने आपने कार्टून के जरिये इंदिरा गांधी को भी काफी निशाना बनाया, लेकिन, इंदिरा गाधी की हत्या के बाद उनके सबसे बड़े आलोचक बाल ठाकरे ने अपने कार्टून के जरिये उनको श्रद्धांजलि भी दी थी.

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1975 में हो रहे मध्य प्रदेश चुनावों के दौरान, ठाकरे को यह लगा कि गरीब लोग भ्रष्टाचारियों को वोट दे रहे हैं. उन्होंने इस शक्तिशाली कार्टून के माध्यम से अपना विरोध जताया. फोटो:शिव सेना
इस कार्टून को ‘मार्मिक‘ में नेहरू पे लिखे गए एक विशेष लेख के साथ प्रकाशित किया था. फोटो:शिव सेना

बाल ठाकरे ने ना केवल अपने व्यक्तित्व से बल से बल्कि कार्टूनों से भी भारतीय राजनीति में अपनी छाप छोड़ी है. वह ब्रिटेन के कार्टूनिस्ट डेविड लो को काफी पसंद किया करते थे, विश्व युद्ध के दौरान डेविड लो के कार्टूनों को बहुत पसंद किया जाता था. बाल ठाकरे ने अपने आखिरी समय भी अपनी रचना और कला का साथ नहीं छोड़ा और मृत्यु के कुछ समय पहले तक वो अपनी मराठी साप्ताहिक मार्मिक के लिए खुद कार्टून बनाते थे.

(द क्विंट पर 27.12.18 पर प्रकाशित इस स्टोरी का अनुवाद इला काजमी ने किया है)

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Published: 23 Jan 2019,10:31 AM IST

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