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देश के जाने-माने वकील और पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री राम जेठमलानी नहीं रहे. 8 सितंबर को 95 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. वाजपेयी सरकार में कानून मंत्री रह चुके जेठमलानी ने साल 2014 में कहा था कि वो पीएम मोदी के बहुत बड़े आशिक हैं. ये बात उन्होंने एनडीए सरकार बनने के बाद काले धन पर सीनियर जर्नलिस्ट संजय पुगलिया के साथ खास बातचीत में कही थी.
संजय पुगलिया ने उनसे सरकार के एक फैसले (काले धन के खिलाफ SIT का गठन) पर सवाल किया था. उनका सवाल था-
"एनडीए ने यूपीए सरकार के तौर तरीकों से नाराज होकर काले धन के खिलाफ SIT का गठन किया. लेकिन कहीं ये एसआईटी एनडीए सरकार के लिए सिरदर्द तो नहीं हो जाएगी?" इस सवाल का जवाब देते हुए जेठमलानी ने कहा, "मैं पीएम मोदी का बहुत बड़ा आशिक हूं."
जेठमलानी ने कहा-
राम जेठमलानी ने आगे कहा, "सरकार ने पहले ही दिन एसआईटी का काम हाथ में लिया, अब मेरा इश्क उनके प्रति और मजबूत हो गया."
जेठमलानी ने महाराष्ट्र के उल्हासनगर से जनसंघ और शिवसेना के समर्थन से अपना पहला चुनाव निर्दलीय लड़ा था. इसमें उन्हें हार मिली थी. 1975-77 में इमरजेंसी के दौरान वो बार एसोसिएशन के अध्यक्ष थे. 1977 में राम जेठमलानी ने कांग्रेस कैंडिडेट सुनील दत्त को मुंबई नॉर्थ-वेस्ट से चुनाव हराया. 1980 में दोबारा उन्होंने सुनील दत्त को ही मात दी. लेकिन 1985 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सुनील दत्त, जेठमलानी को हराने में कामयाब रहे. 1988 में वो राज्यसभा सांसद चुने गए.
वाजपेयी से उनके खुलेतौर पर विवाद रहे. 2004 में उन्होंने लखनऊ से वाजपेयी के खिलाफ चुनाव भी लड़ा, हालांकि वे हार गए. इस चुनाव में वे निर्दलीय थे, लेकिन कांग्रेस ने कैंडिडेट खड़ा न करके उन्हें समर्थन दिया था. बाद में जेठमलानी वापस बीजेपी में आ गए.
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