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(उधम सिंह की एनिवर्सरी पर इस खबर को क्विंट के आर्काइव से दोबारा पब्लिश किया जा रहा है.)
13 अप्रैल, 1919 वो तारीख है जिसे शायद ही कोई हिंदुस्तानी भूल पाए. उस दिन अमृतसर के जालियांवाला बाग में लोग रौलेट एक्ट के विरोध में सभा कर रहे थे. अंग्रेज अफसर जनरल डायर ने निहत्थों पर गोलियां चलवाईं, जिससे एक हजार लोग मारे गए. इस हत्याकांड से पूरा देश हिल गया था, लेकिन सरदार उधम सिंह ने उस दिन एक कसम खाई थी. बदले की कसम. जालियांवाला बाग कांड के 21 साल बाद उन्होंने बदला लिया लंदन में. उनकी एनिवर्सरी के मौके पर इस ग्राफिक्स नॉवेल में देखिए उधम सिंह की कहानी.
अपने मिशन को पूरा करने के लिए उधम सिंह ने कई भेष बदले, दो ब्रिटिश फिल्मों (एलिफेंट बॉय और द फोर फेदर्स) में भी काम किया. क्या कमाल की बात है कि उधम सिंह पढ़ना-लिखना नहीं जानते थे, पैसे की भी किल्लत रहती थी फिर भी उन्होंने मिशन को अंजाम दिया.
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