पीएम मोदी ने यूपी चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा वक्त वाराणसी को दिया. लेकिन क्या 8 मार्च को होने जा रहे सातवें और अंतिम चरण के मतदान में बीजेपी को इसका फायदा मिलेगा?
बीजेपी ने धर्म, जाति, वर्ग समीकरणों को साधने के लिए अलग-अलग तरह से प्रयास किए प्रधानमंत्री के इस दौरे में उन्होंने कब-कब क्या किया, देखिए पूरा ब्योरा:
तीसरा दिन, 6 मार्च, सोमवार
प्रधानमंत्री अपनी वाराणसी यात्रा के तीसरे दिन सोमवार को गढ़वा घाट आश्रम पहुंचे. आश्रम में नरेंद्र मोदी ने गायों को चारा खिलाया और गुरु शरणानंद से मिले.
यह आश्रम यादव जाति के लोगों के लिए खास मायने रखता है. यादवों के अलावा पिछड़ी जातियों और दलित समुदाय के लोग भी भारी संख्या में इस आश्रम से जुड़े हुए हैं. और बीजेपी इन्हीं वर्गों को अपने साथ जुटाने में लगी है.
पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री के घर का दौरा
इसके बाद नरेंद्र मोदी लाल बहादुर शास्त्री चौक पहुंचे, जहां उन्होंने शास्त्रीजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. मोदी, लालबहादुर शास्त्री के घर पर भी गए, जिसे अब संग्राहलय में तब्दील कर दिया गया है.
शास्त्री जी का घर वाराणसी कैंट इलाके में आता है, जहां से बीजेपी के सौरभ श्रीवास्तव मैदान में हैं. ऐसे में मोदी का शास्त्री जी के घर जाना कायस्थों को रिझाने की एक कोशिश भी मालूम पड़ती है.
अंतिम पड़ाव में गांवों की ओर मोदी
नरेंद्र मोदी का 3 दिवसीय मैराथन दौरा रोहनियां में जनसभा को संबोधित करने के साथ खत्म हो गया. रोहनियां सीट पर मुकाबला कांटे का है. यहां से अपना दल के एक धड़े की अध्यक्ष कृष्णा पटेल, तो बीजेपी से सुरेंद्र नारायण सिंह मैदान में हैं. सुरेंद्र को अपना दल से अलग हुए अनुप्रिया पटेल गुट का समर्थन है.
जानकारों का मानना है कि वाराणसी के ग्रामीण क्षेत्रों में बीजेपी को वोट जुटाने में काफी मेहनत करनी पड़ रही है. मोदी के इस दौरे से बीजेपी वोटरों को अपने पक्ष में करने के जुगत में जुटी है.
दूसरा दिन, 5 मार्च, रविवार
दूसरे दिन यानी 5 मार्च को पीएम का रोड शो पांडेयपुर चौराहे से शुरू हुआ और काशी विद्यापीठ पर खत्म हुआ. काशी विद्यापीठ में मोदी ने एक जनसभा को संबोधित किया, जहां पीएम ने पूर्वांचल और वाराणसी के विकास की बात करते हुए अखिलेश सरकार को हर मोर्च पर नाकाम बताया.
आपको बता दें कि काशी विद्यापीठ, वाराणसी दक्षिण सीट में आता है, जहां बीजेपी की हालत अच्छी नहीं मानी जा रही है. ऐसे में पार्टी के सबसे बड़े स्टार को वहां उतारने से हवा बदलने की उम्मीद लगाई जा रही है.
पीएम ने इस दौरान कुल 5 किलोमीटर लंबा रोड शो किया, फिर मोदी का दूसरा रोड शो काशी विद्यापीठ से शुरू होकर डीएलडब्ल्यू पहुंचा.
वाराणसी दक्षिणी सीट पर 'भीतरघात' सता रहा है?
इस सीट से बीजेपी विधायक श्यामदेव राय चौधरी 7 बार जीत दर्ज कर चुके हैं. इस बार उनका टिकट काट दिया गया. ब्राह्मण बहुल इस सीट पर बीजेपी ने नीलकंठ तिवारी को उम्मीदवार बनाया है. स्थानीय लोगों के साथ-साथ श्यामदेव राय चौधरी की भी नाराजगी बीजेपी को भारी पड़ सकती है. ऐसे में शनिवार को पीएम मोदी श्यामदेव राय को मनाते नजर आए.
पहला दिन, 4 मार्च, शनिवार
वाराणसी पड़ाव के पहले दिन नरेंद्र मोदी ने करीब साढ़े तीन घंटे का रोड शो किया था. खुली गाड़ी में बैठे मोदी ने बीएचयू गेट से रोड शो की शुरुआत की, जो काल भैरव के दर्शन के बाद खत्म हो गया. इस दौरान पीएम ने पंडित मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की.
पूरे रोड शो के दौरान बीजेपी समर्थक मोदी-मोदी के नारे लगाते रहे. बीच-बीच में पीएम पर फूलों की बरसात भी की जा रही थी.
काल भैरव के दर्शन क्यों जरूरी?
मान्यता है कि काल भैरव वाराणसी के कोतवाल हैं. जो भी अफसर वाराणसी आता है, वो काल भैरव के दर्शन जरूर करता है. ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी भी इन मान्यताओं से अछूते नजर नहीं आए और शनिवार को काल भैरव की पूजा-अर्चना के बाद ही रोड शो खत्म किया.
मुस्लिम बहुल इलाके में रुका रोड शो
प्रधानमंत्री का रोड शो मुस्लिम बहुल इलाके में भी करीब आधे घंटे के लिए रुका. प्रधानमंत्री ने एसपीजी से कहकर हाजी मुख्तार अहमद महतो की ओर से दिए गए गुलस्ते और शॉल को लिया. मोदी ने शॉल को माथे से भी लगाया.
रोड शो Vs रोड शो
4 मार्च को मोदी के रोड शो के बाद वाराणसी की गलियों में 'यूपी के लड़कों' यानी अखिलेश-राहुल का रोड शो निकला. इस रोड शो में भी भारी भीड़ जुटी. मोदी ने जहां 7 किलोमीटर का रोड शो किया, वहीं अखिलेश-राहुल ने करीब 8 किलोमीटर का रोड शो किया.
रोड शो बनेगा जीत का रोड मैप?
आखिरी चरण के मतदान में मोदी की नजर पूर्वांचल की 40 सीटों पर है. वाराणसी को केंद्र में रखकर इन सीटों पर निशाना साधने की कोशिश हो रही है. 2012 के चुनावों में बीजेपी को 40 में से महज 4 सीटें हासिल हुई थीं. ऐसे में मोदी इस बार रोड शो को जीत का रोड मैप बनाने की कोशिश में हैं.
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