मार्केट यही सोच रहा है कि नोटबंदी क्या कम थी कि साल के जाते-जाते मोदी जी ने एक और जोर का झटका दे डाला. हालत ये हो गई है कि सालभर की कमाई बाजार ने गंवाई. दरअसल मार्केट का दिल बड़ा कमजोर होता है, उसे अनिश्चतता जरा भी पसंद नहीं. नीति और नीयत में जरा सा ब्लॉकेज दिखा और फौरन नीचे की तरफ जाने लगती है.
प्रधानमंत्री ने शेयर बाजार की कमाई पर नया टैक्स लगाने की बात ने सेंसेक्स को दो सौ पॉइंट गिरा दिया. महीने के निचले स्तर पर फिसलकर सेंसेक्स का दोबारा 26 हजार के नीचे जाना बड़े खतरे की आहट है. निफ्टी 8000 के ऊपर नहीं टिक पाने से साफ है बाजार को आगे खतरे के बादल साफ नजर आ रहे हैं. अब सिर्फ बजट ही बाजार में रौनक ला सकता है.
बाजार में गिरावट के 10 बड़े खतरे
- शेयर मार्केट को नए टैक्स का डर प्रधानमंत्री मोदी ने दिया है, इसलिए जब तक वो खुद इस पर सफाई नहीं देते, तक तक भरोसा नहीं होगा.
- नीति और नीयत पर भरोसे की कमी. इस बात की घबराहट है कि टैक्स का बोझ बढ़ा तो शेयर बाजार में निवेश मुनाफे का बिजनेस नहीं रह जाएगा. ऐसे में FII और बड़े निवेशकों की तरफ से बिकवाली का खतरा बढ़ा.
- 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका में राष्ट्रपति पद संभालेंगे. ट्रंप की नीतियों को लेकर दुनिया भर के बाजारों में असमंजस. उन्होंने अमेरिका में इंफ्रा पर 1 लाख करोड़ डॉलर के खर्च और कॉरपोरेट टैक्स में कमी का वादा निभाया तो पूरी दुनिया से निवेश अमेरिका में जाएगा.
- नोटबंदी का असली असर आने वाले दिनों में दिखेगा. ऑटो कंपनियों, FMCG, रिटेल और टीवी, फ्रिज, एसी कंपनियों की बिक्री गिरने का खतरा.
- सबसे बड़े टैक्स सुधार GST के लागू होने पर अनिश्चितता. राज्यों और केंद्र के बीच कई मुद्दों पर मतभेद कायम. टैक्स की दरें अभी भी साफ नहीं. 1 अप्रैल से लागू होने की उम्मीद कम हुई
- लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस में टैक्स लगाने की चर्चा ने घबराहट बढ़ाई, टैक्स लगने से बड़े विदेशी निवेश पलायन कर सकते हैं. दूसरे इमर्जिंग मार्केट भारतीय बाजारों के मुकाबले सस्ते, ऐसे में निवेशक उन बाजारों का रुख कर सकते हैं.
- अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व अगले साल तीन या चार बार ब्याज दरें बढ़ा सकता है. ऐसा हुआ तो भारतीय बाजार FII के लिए उतने आकर्षक नहीं हर जाएंगे
- डॉलर इंडेक्स में मजबूती. अमेरिकी इकोनॉमी में सुधार और ब्याज दरों में बढ़ोतरी से दूसरी करेंसी के मुकाबले डॉलर में लगातार मजबूती
- इकोनॉमी में रिकवरी के फिलहाल कोई संकेत नहीं. नोटबंदी की वजह से खास तौर पर स्मॉल कैप और मिडकैप कंपनियों की कमाई में तगड़ा झटका लगने की आशंका.
- रेटिंग एजेंसी मूडीज पर रेटिंग बढ़ाने के सरकार के प्रेजेंटेशन का असर नहीं. मूडीज ने कहा रेटिंग बढ़ाने के लिए भारत को दो-तीन साल इंतजार करना होगा. दूसरी रेटिंग एजेंसियों और विदेशी ब्रोकरेज हाउस ने नोटबंदी के फायदों पर सवाल उठाए, ग्रोथ का अनुमान 4% से 6% के आसपास किया.
बाजार के लिए सबसे बड़ी मुश्किल है कि सरकार की नीतियों पर बहुत कंफ्यूजन है. नोटबंदी से बाजार की रफ्तार को ब्रेक लगा और टैक्स बढ़ाने के प्रधानमंत्री मोदी के संकेतों ने इसे जाम कर दिया है. अगर नरेंद्र मोदी इस बारे में कोई सफाई नहीं देते तो बजट तक बाजार की घबराहट कम होने के आसार नहीं.
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