उद्योग जगत में बड़े उलटफेर के साथ पिछले महीनों से चर्चा में रहे टाटा सन्स एंड कंपनी के चेयरमैन के नाम की आधिकारिक घोषणा कर दी गई है. एन चंद्रशेखरन इंडियन कार्पोरेट सेक्टर की इस सबसे नामी ग्रुप के चेयरमैन होंगे.
रतन टाटा के उत्तराधिकारी के तौर पर 103 अरब डाॅलर का साम्राज्य चंद्रशेखरन संभालेंगे.
जानिए नटराजन चंद्रशेखरन को..
- नटराजन चंद्रशेखरन टाटा ग्रुप के साथ 1987 से ही जुड़े हुए हैं. वो फिलहाल टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज(टीसीएस) के सीईओ के तौर पर कंपनी से जुड़े हुए थे.
- टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज जिसमें टाटा ग्रुप का 73.26 % स्टैक है, रेवेन्यू के मामले में इस ग्रुप का सबसे बड़ा हिस्सेदार है.
- चंद्रशेखरन ने तमिलनाडु के रीजनल इंजिनियरिंग काॅलेज,त्रिची से कंप्यूटर एप्लीकेशन्स में मास्टर किया था.
- साल 2009 में उन्होंने टीसीएस की कमान सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर के तौर पर संभाली. इससे पहले वो कंपनी से चीफ आॅपरेटिंग आॅफिसर के तौर पर जुड़े थे.
- साल 2012-13 में चंद्रशेखरन ने नेशनल एसोशिएशन आॅफ साॅफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनी (नैसकाॅम) को चेयरमैन के तौर पर भी अपनी सेवा दी है.
80 दिनों तक चली खींचतान
आपको बता दें कि टाटा ग्रुप के टाटा ग्लोबल बेवरेज और टीसीएस के चेयरमैन पद से 24 अक्टूबर को साइरस मिस्त्री को हटा दिया गया था. रतन टाटा और मिस्त्री के बीच शुरु हुए मतभेद के बाद मिस्त्री ने टाटा ग्रुप की 6 कंपनियों से इस्तीफा दे दिया.
बोर्ड ने टाटा संस के अंतरिम चेयरमैन के रूप में रतन एन टाटा को नियुक्त किया और नया चेयरमैन चुनने के लिए एक सेलेक्शन कमिटी गठित की.
टाटा सन्स के आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन के क्राइटेरिया के अनुसार इसमें रतन टाटा, वेणु श्रीनिवासन, अमित चंद्रा, रोनेन सेन और प्रभु कुमार भट्टाचार्य को शामिल किया गया था. कमिटी को चार महीनों के अंदर सेलेक्शन प्रोसेस पूरा करने का समय दिया गया था.
ये होंगी चुनौतियां
चेयरमैन बनने के साथ ही कई ऐसी चुनौतियां और जिम्मेदारियां हैं जिनपर नटराजन को गौर करना होगा.
- इस पूरे ग्रुप में टीसीएस, टाटा मोटर्स जैसी कंपनियां अच्छा परफाॅर्म कर रही हैं. लेकिन टाटा स्टील और इंडियन होटल्स जो पिछड़ती चली गईं उन्हें प्राॅफिटेबल बनाना चुनौती होगी.
- दूसरी चुनौती है-कर्ज. दरअसल, टाटा स्टील ने दुनिया की टाॅप स्टील कंपनी कोरस को खरीदा था. 2008 में जैगुआर और लैंडरोवर जैसी नामी गाड़ियों के बिजनेस को टाटा मोटर्स ने अपने अंडर कर लिया. कंपनी पर ऐसे कुछ फैसलों की वजह से कर्ज का बोझ है जिससे उबारना एक बड़ी चुनौती होगी.
- मिस्त्री-टाटा विवाद से ग्रुप की छवि को नुकसान पहुंचा है. टाटा ब्रांड को एक बड़ा झटका लगा है. ग्रुप नए सिरे से कानूनी लड़ाई में फंस गई है. इसकी भरपाई के लिए भी नटराजन को तैयार रहना पड़ेगा.
- नटराजन टाटा ग्रुप के पहले नाॅन-पारसी और सातवें चेयरमैन बने हैं. ऐसे में पारसी कम्युनिटी का रिएक्शन और ग्रुप में पहले से मौजूद सीनियर के रिएक्शन को हैंडल करना भी उनके लिए चुनौती होगी.
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