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डीजल पर एक्‍साइज ड्यूटी 3 साल में 380% से ज्‍यादा बढ़ी

केंद्र सरकार ने ही एक्साइज ड्यूटी नहीं बढ़ाई, बल्कि पिछले 3 सालों में राज्यों ने भी वैट/सेल्स टैक्स बढ़ाया है.

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पेट्रोल और डीजल के दाम हमेशा ही आम जनता की चिंता का मुद्दा बने रहते हैं. सरकारी आंकड़ों में बताया गया है कि पिछले तीन साल में डीजल में एक्साइज ड्यूटी पर 380% बढ़ोतरी हुई है और पेट्रोल पर 120%.

पिछले दो साल (2013-14 और 2014-15) में केंद्र सरकार का रेवेन्यू पेट्रोल/डीजल पर लगी एक्साइज ड्यूटी से दोगुना हो हुआ है.

2014 में बीजेपी सरकार के सत्ता में आने से पहले डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 3.56 रुपये थी और पेट्रोल पर 9.48 रुपये. इसके बाद पिछले तीन साल में 11 बार रेट रिवाइज किए गए. डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 17 रुपये 33 पैसे (380%) बढ़ी, जबकि पेट्रोल पर 21.48 रुपये (120%) बढ़ी.

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राज्यों ने भी पेट्रोल और डीजल पर वैट/सेल्स टैक्स

पेट्रोल-डीजल पर सिर्फ केंद्र सरकार ने ही एक्साइज ड्यूटी नहीं बढ़ाई, बल्कि पिछले 3 साल में राज्यों ने भी वैट/सेल्स टैक्स बढ़ाया है. अप्रैल 2014 में डीजल पर 10 राज्यों में 20% से ज्यादा वैट था. सबसे ज्यादा 25% छत्तीसगढ़ में था. वहीं अब तक मार्च 2017 में डीजल पर 16 राज्यों में 20% से ज्यादा वैट रहा और सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश में 31.31% है.

पेट्रोल पर नजर डालें, तो अप्रैल 2014 में 17 राज्यों में कम से कम 25% वैट था. इसमें सबसे ज्यादा 33.06% पंजाब में था. अब भी कम से कम 25% वैट अलग अलग राज्यों में है और सबसे ज्यादा वैट मध्य प्रदेश में 39.75% है.

दो साल में एक्साइज ड्यूटी से दोगुना हुआ रेवेन्यू

2013-14 से 2015-16 के बीच दो साल में रेवेन्यू 77982 रुपये से 178591 रुपये बढ़ा है. राज्यों में वैट कलेक्शन इतना नहीं हुआ, जितना होना चाहिए, जबकि ग्लोबली कच्चे तेल की कीमतें कम होने से पेट्रोल-डीजल के बेस प्राइस में कमी आई है.

सिर्फ चार राज्यों ने ही पेट्रोल-डीजल पर वैट के जरिए 10000 करोड़ से ज्यादा कमाए. महाराष्ट्र को सबसे ज्यादा रेवेन्यू मिला. साल 2013-14 से हर साल 19000 करोड़ से ज्यादा कमाए. इसके बाद बाकी तीन राज्यों गुजरात, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु का नंबर आता है. अगर तेलंगाना बनने से पहले की बात करें, तो आंध्र प्रदेश को भी 10000 करोड़ से ज्यादा रेवेन्यू मिला.

पेट्रोलियम प्रोडक्ट से 2015-16 में सरकारी खजाने में 4 लाख करोड़ रुपये आए. जिसमें से 3.2 लाख सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी और वैट अकाउंट से मिले.

स्रोत: Factly.in

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