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GST से देश के बाजार में आएगी बहार, पर कांटे भी कम नहीं

जानिए जीएसटी की पूरी कहानी, इससे आपके जीवन पर कितना पड़ेगा असर.

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जुलाई में एक देश, एक बाजार अब हकीकत बनने वाला है. बस ये समझिए कि शादी की सारी तैयारियां हो चुकी हैं, सिर्फ जयमाला की देर है. तमाम जरूरी कानून को लोकसभा की मंजूरी मिल चुकी है. रेट के स्लैब भी तय हो गए हैं. लेकिन 5000 आइटम में किस पर जीएसटी की क्या दरें होंगी, बस यही तय होना बाकी है.

उम्मीद है कि 18-19 मई को श्रीनगर में जब जीएसटी काउंसिल की बैठक होगी, तो दरों पर फैसला हो जाएगा. लेकिन ये मत समझिए कि जीएसटी में फूल ही फूल हैं कांटे नहीं. आइए बताते हैं कि जीएसटी लागू होने के बाद हमारी-आपकी लाइफ में क्या बदलाव होंगे.

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जीएसटी का क्या होगा असर

100 करोड़ कंज्यूमर का बाजार... जी हां, जीएसटी लागू होने से करीब-करीब हर प्रोडक्ट और सर्विस के लिए एकसमान भारी भरकम मौके होंगे. इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैक्स के मुताबिक, कम से कम अगले बीस साल दुनिया की सबसे बड़ी कंज्यूमर स्टोरी भारत की होगी. यह बात जीएसटी का अहम रोल बताने के लिए काफी है.

जीएसटी के लागू होने से तरह-तरह के करीब 25 टैक्स खत्म हो जाएंगे और इनकम टैक्स समेत रह जाएंगे बमुश्किल सिर्फ 6 टैक्स.

जीएसटी का आपके जीवन पर असर

जीएसटी लागू होने से देश की जीडीपी ग्रोथ में 2 परसेंट बढ़ोतरी होगी. वक्त बचेगा और इंडस्ट्री पर दबाव कम होगा. लेकिन यह मत सोचिए कि रातोंरात जीएसटी के फायदे दिखने लगेंगे. फायदों के लिए इंतजार करना होगा और कुछ मुश्किलें भी सामने आएंगी, क्योंकि कई आइटम के दाम बढ़ेंगे, मुमकिन है कि कई ऐसी सर्विस टैक्स के दायरे में आ जाएं, जिनके लिए आप अभी कोई टैक्स नहीं देते हैं.

किस सामान पर कितना टैक्स लगेगा, इसका फैसला तो अगले महीने ही हो पाएगा. लेकिन लग्जरी कारों, पान मसाला और सिगरेट को छोड़कर सभी आइटम पर जीएसटी की 5 से 28 परसेंट के बीच चार स्लैब में ही लगेंगी.

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जीएसटी पर अभी क्या-क्या होना है

स्नैपशॉट
  • पहली जुलाई से लागू होने की उम्मीद, 5%, 12%, 18% और 28% के चार स्लैब बनाए गए हैं.
  • वित्तमंत्री अरुण जेटली के मुताबिक, आम आदमी के इस्तेमाल होने वाली चीजों पर टैक्स की दरें कम होंगी. वित्तमंत्री के मुताबिक, हवाई चप्पल और बीएमडब्‍ल्‍यू कार में टैक्स की दरें समान नहीं रह सकतीं.
  • लग्जरी आइटम जैसे बीएमडब्‍ल्‍यू, मर्सिडीज जैसे महंगी कारों पर अधिकतम 28 परसेंट के टैक्स के साथ 15 परसेंट सेस भी लगेगा, यानी टैक्स की प्रभावी दर होगी करीब 40 परसेंट के आसपास.
  • 5000 चीजों किस पर कितना टैक्स लगेगा, यह 18-19 मई को श्रीनगर में होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में तय होगा.
  • पेट्रोल, डीजल, एविएशन फ्यूल फिलहाल जीएसटी के दायरे से बाहर.
  • ज्यादातर इनडायरेक्ट टैक्स खत्म होंगे.
  • केंद्र और राज्य मिलकर टैक्स वसूली करेंगे, इसकी सेक्रेटरीएट बनेगा.
  • अगर राज्यों को नुकसान होता है, तो 5 सालों तक इसकी भरपाई केंद्र करेगा.
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जानिए जीएसटी की पूरी कहानी, इससे आपके जीवन पर कितना पड़ेगा असर.
(ग्राफिक्स: रोहित मौर्य/क्विंट हिंदी)

क्या-क्या होगा महंगा?

1. लग्जरी कारें, पान मसाला और सिगरेट . इन पर अधिकतम रेट 28 परसेंट, सेस भी लगेगा

2. बीएम डब्‍ल्‍यू, मर्सिडीज जैसी कारों पर 28 फीसदी टैक्स और 15 परसेंट सेस लगेगा और टैक्स 40 फीसदी से ऊपर होगा

3. कोल्ड ड्रिंक्स पर भी अधिकतम जीएसटी और सेस लगेगा

4. दफ्तरों में कंपनी के खर्च से मिलने वाला सब्सिडाइज खाना अब सस्ता नहीं रह जाएगा, उसपर भी जीएसटी लगेगा

5. जीएसटी लागू होने के बाद कोई भी सर्विस फ्री नहीं रह जाएगी, उस पर टैक्स देना होगा

6. दफ्तर का क्लब, जिम वगैरह सभी टैक्स के दायरे में आ जाएंगे

7. प्रोफेशनल को अगर कंपनी की तरफ से नॉन कंपीट फीस लगती है तो उसपर टैक्स लगेगा

8. पासपोर्ट, जन्म प्रमाण पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस जैसी तमाम सरकारी सर्विस पर भी जीएसटी मुमकिन, इससे तमाम सर्विस महंगी होंगी

9. कोल और लिग्नाइट पर 400 रुपये प्रति टन पर्यावरण सेस लग सकता है

10. प्रॉपर्टी कारोबार को झटका

अब घर खरीदना तो महंगा होगा. साथ ही प्रॉपर्टी लीजिंग और किराए पर भी जीएसटी लगने के आसार हैं. इसे सर्विस माना गया है, इसलिए इनमें किसी भी दर से टैक्स लगा तो भी तमाम प्रॉपर्टी कारोबार महंगे हो जाएंगे

11. यही नहीं होमलोन के लिए ईएमआई यानी किस्त पर जीएसटी संभव है. इससे घरों की किस्त बढ़ जाएगी

12. अंडर कंस्ट्रक्शन घरों में भी जीएसटी लगेगा. अभी इनमें 9 फीसदी सर्विस टैक्स और वैट लगता है. लेकिन जानकारों के मुताबिक, यह जीएसटी में 12 फीसदी के स्लैब में आ सकता है. इससे अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी में टैक्स तीन फीसदी बढ़ जाएगा

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जीएसटी से क्या-क्या सस्ता हो सकता है

कई सर्विस और आइटम जीएसटी लागू होने के बाद सस्ते भी होंगे. दरअसल अभी अलग-अलग टैक्स होने की वजह से दर ज्यादा हो जाती है, लेकिन सिर्फ जीएसटी लागू होने से टैक्स कम भी हो जाएगा.

1. व्हाइट गुड्स जैसे फ्रिज, वॉशिंग मशीन, एयर कंडीशनर के दाम कम हो सकते हैं. अगर इन पर जीएसटी की उच्चतम दरों के हिसाब से टैक्स लगा, तब भी यह अभी के 31 परसेंट टैक्स से कम होगा.

2. फूड आइटम, साबुन, तेल, टूथ पेस्ट जैसी आम जरूरत की चीजें सस्ती होंगी. उम्मीद है ये आइटम 12-18 परसेंट स्लैब में होंगे. अभी इन पर कुल 20 परसेंट के आसपास टैक्स लगता है.

3. ट्रांसपोर्टेशन सस्ता हो जाएगा, क्योंकि ट्रकों को राज्यों की सीमाओं पर कई कई दिन इंतजार नहीं करना होगा. इससे वक्त भी बचेगा और क्षमता बढ़ेगी.

4. सबसे बड़ा फायदा लॉजिस्टिक्स सेक्टर को होगा. एक जगह से दूसरी जगह सामान पहुंचाने में लगने वाला वक्त आधा रह जाएगा. ट्रांसपोर्टेशन की लागत कम होने से बहुत से आइटम की लागत भी कम हो जाएगी.

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मुनाफाखोरी करने वाले मुश्किल में फंसेंगे

जीएसटी कानून में कंज्यूमर के हित में मुनाफाखोरी पर सख्ती का क्लॉज जोड़ा गया है. यानी जो कंपनियां जीएसटी की आड़ में बेजा मुनाफा कमाएंगी, उन पर उनपर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है. उदाहरण के तौर पर अगर साबुन पर जीएसटी के पहले सभी टैक्स मिलाकर 20 परसेंट टैक्स लगता है, लेकिन अगर उस पर 12 परसेंट की दर से जीएसटी लगती है, तो कंपनियों को टैक्स में कमी का फायदा कंज्यूमर तक पहुंचाना होगा. टैक्स कम होगा तो उन्हें कीमतें कम करनी होगी.

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सबसे अहम जीएसटी की दरें

दुनिया के ज्यादातर देशों में जीएसटी की सफलता की सबसे बड़ी वजह से टैक्स की कम और सिर्फ दो या तीन तरह की दरें. लेकिन भारत में टैक्स के 4 स्लैब तय किए गए हैं और अधिकतम दर 28 परसेंट है.

जानकारों के मुताबिक 17 फीसदी से ऊपर दर होने से लोगों को महंगाई का सामना करना पड़ सकता है. भारत की दरें एशियाई देशों के औसत 7.7 फीसदी के मुकाबले बहुत ज्यादा हैं.

जीएसटी की दरें ज्यादा हुई तो एक्सपोर्ट के मोर्चे पर भारतीय कंपनियों के लिए मुश्किलें बढ़ेंगी, क्योंकि दूसरे एशियाई देशों के मुकाबले उनका सामान महंगा हो जाएगा.

विकसित देशों में सबसे सस्ती दरें सिंगापुर की हैं, जहां सिर्फ 7 फीसदी जीएसटी है. कनाडा में दरें 13 से 15 फीसदी के स्तर पर हैं. लेकिन यूरोपीय देशों में अधिकतम दर 25 फीसदी के आसपास है.

इसलिए जीएसटी कानून में मुनाफाखोरी से निपटने का इंतजाम है. सुब्रमण्यम के मुताबिक इसका मकसद देश के लोगों को भरोसा दिलाना है कि जीएसटी की वजह से उनको नुकसान नहीं होगा.

लेकिन इंडस्ट्री को आशंका है कि इसकी आड़ में सरकारी अधिकारी उन्हें बेमतलब परेशान कर सकते हैं. टैक्स एक्सपर्ट के मुताबिक, इससे सरकार का काम बढ़ेगा. उसे सबसे पहले हर प्रोडक्ट का जीएसटी के पहले और जीएसटी के बाद कीमत का चार्ट तैयार करना होगा.

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क्या हैं जीएसटी के रास्ते में अड़चनें?

1. जीएसटी के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर पर अभी भी सवाल

2. इंडस्ट्री खास तौर पर छोटे और मझौले उद्योग के पास जरूरी आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार नहीं है.

3. इसके साथ ही किस चीज पर किस दर से टैक्स लगेगा इसका ढांचा भी तैयार होना बाकी

4. रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया ही पूरी नहीं हो पाई है. मलेशिया को 2015 में आधी अधूरी तैयारी के साथ जीएसटी लागू करने में काफी दिक्कत हुई थी

5. जीएसटी लागू होने के शुरुआती सालों में महंगाई में बढ़ोतरी मुमकिन. लेकिन इसका फायदा दो साल बाद लोगों को मिलना शुरू हुआ, जब टैक्स वसूली में बढ़ोतरी हुई, कारोबार करना आसान हुआ और सिस्टम से भ्रष्टाचार काफी हद तक कम हो गया.

इंडस्ट्री ही नहीं शेयर बाजार भी जीएसटी लागू होने का इंतजार कर रहा है. इससे खास तौर पर एफएमसीजी, एंटरटेनमेंट और लॉजिस्टिक कंपनियों को अच्छा खासा फायदा होने के आसार हैं. पिछले 6 महीनों में इन सेक्टर की कंपनियों के शेयरों में 50 से 150 परसेंट तक की तेजी आ चुकी है.

जाहिर है कुछ मामलों में दिक्कत को छोड़ दें, तो जीएसटी सबके लिए फायदेमंद नजर आ रहा है. इनडायरेक्ट टैक्स का यह सबसे बड़ा बदलाव है, इसलिए असली टेस्ट तो जुलाई में जीएसटी लागू होने के बाद ही होगा.

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(अरुण पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं. इस आलेख में प्रकाशित विचार उनके अपने हैं. आलेख के विचारों में क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)

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