RERA के तहत बिल्डरों को रजिस्टर करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई थी. इन नए नियमों से क्या बिल्डरों पर नकेल कसी जा सकेगी? यूपी में RERA में बदलाव कितना सही है, इसका कैसे होगा असर. जानिए क्या है एक्सपर्ट्स की राय.
सवाल: रेरा एक्ट लागू हो चुका है अभी तक रेरा कहां तक कारगर साबित हुआ?
रेरा कहीं ना कहीं लोगों को अब पारदर्शिता दे रहा है. लोगों के पास अब डेवलपर का सारा डेटा ऑनलाइन प्लेटफार्म पर होगा, तो कस्टमर्स के लिए ये सुविधा होगी कि वो सारी जानकारी खुद चेक कर लें. पहले सिर्फ ब्रोशर के जरिए ही जानकारी हासिल हो पाती थी, अब रेरा के आ जाने के बाद से ऐसा नहीं है.
सवाल: रेरा को सही तरीके से लागू करने में क्या-क्या कठिनाइयां हैं?
सबसे बड़ा चैलेंज इंफ्रास्ट्रक्चर है. अगर आप एक कानून लेकर आते हैं और आपके पास काम करने के लिए लोग ही नहीं, तो वो दिक्कत की बात है. रेरा में टाइमलाइन फिक्स्ड है, आपको 2 महीने के अंदर शिकायत को दूर करना है. ऐसे में आपको शिकायतों के समाधान के लिए उतने ही लोग चाहिए. बता दें कि रेरा में एक दिन में 15 हजार शिकायतें दर्ज की गई हैं. एक ट्रिब्यूनल को चलाने के लिए अच्छे लोग जरूरी हैं.
सवाल: चल रहे प्रोजेक्ट की कैटेगरी को बदल दिया गया, ये कितना सही है और क्या ये बिल्डरों के हक में है?
यूपी सरकार ने इसमें अपने हिसाब से बदलाव किया है. अगर प्रोजेक्ट का डेवलपमेंट का काम पूरा है और प्रोजेक्ट को RWA को सौंप दिया गया है, तो वो पूरा माना जाता है. अगर डेवलपमेंट का काम पूरा है और डेवलपर नें प्रोजेक्ट कंप्लीशन के लिए अप्लाई किया है, तो भी वो कंप्लीट माना जाएगा. एक ये भी चीज है कि अगर 60% काम पूरा है और बाकी 40% चल रहा है, तो भी ये प्रोजेक्ट को पूरा माना जाएगा. साफ है कि कहीं न कहीं ये डेवलपर और बिल्डर के हक में है.
सवाल: अगर कोई बिल्डर गलत है, तो उसको किस तरह की पेनल्टी देनी होगी?
पेनल्टी के लिए भी केंद्र और राज्य की अलग-अलग सोच है. ये राज्य के ऊपर है कि वो अपने स्टेट की पनेल्टी रेट को फिक्स करती है कि नहीं. जहां तक यूपी का सवाल है, तो पेनल्टी के तरीके में कोई बदलाव नहीं है. केवल इतना है कि आप अपनी सजा को जुर्माना देकर कम करा सकते हैं.
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