अनेक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में क्रिप्टोकरेंसी का बाजार उफान पर है. चेनालिसिस (Chainalysis) के अनुसार बीते वर्ष में भारतीयों का क्रिप्टो निवेश 200 मिलियन से 40 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है. कॉइनगेको की माने तो भारत के चार सबसे बड़े एक्सचेंज में क्रिप्टो की डेली ट्रेडिंग एक वर्ष में 10.6 मिलियन डॉलर से करीब 102 मिलियन डॉलर हो गई है.
भारत में करीब 1.5 करोड़ लोग क्रिप्टोकरेंसी में व्यापार करते हैं. US के लिए यह नंबर 2.3 करोड़ है जबकि UK में महज 23 लाख लोग क्रिप्टो में ट्रेड करते हैं. चीन में क्रिप्टो बाजार करीब 161 बिलियन डॉलर का है.तमाम चिंताओं के बावजूद भारतीयों का क्रिप्टोकरेंसी के लिए रुझान कम होने की जगह बढ़ता जा रहा है. पारंपरिक तौर पर गोल्ड की बड़ी मांग वाले देश में क्रिप्टो बाजार के विस्तार की रफ्तार चौंकाने वाली है.
सवाल है कि जिन क्रिप्टोकरेंसी पर भारत में रूल-रेगुलेशन स्पष्ट नहीं है,जिसका मार्केट और भविष्य इतना अनिश्चित है और जिसपर सरकार तथा RBI का रुख पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है,उस भारत में लोग इतनी बड़ी संख्या में इसमें निवेश क्यों कर रहे हैं?
कौन-क्यों कर रहा क्रिप्टोकरेंसी में निवेश?
क्रिप्टोकरेंसी तेजी से एक स्वीकार्य एसेट क्लास बनता दिख रहा है. 18-35 आयु वर्ग के निवेशक खासतौर पर गोल्ड की तुलना में डिजिटल करेंसी पर ज्यादा भरोसा दिखा रहे हैं. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल डाटा के मुताबिक भी 34 वर्ष से कम के निवेशकों को येलो मेटल कम लुभाता है. क्रिप्टो के आकर्षक होने की अहम वजह सोने की तुलना में ज्यादा ट्रांसपेरेंसी और कम अवधि में रिटर्न है. साथ ही डिजिटल करेंसी के साथ वेरिफिकेशन की भी परेशानी नहीं होती. खरीद बिक्री में आसानी ने भी निवेशकों को क्रिप्टो की तरफ मोड़ा है.
देश में दुनिया की सबसे बड़ी IT आबादी है और यह बढ़ते स्मार्टफोन बाजारों में से एक है.इसी का परिणाम है कि ई-कॉमर्स प्लेयर्स और ऑनलाइन भुगतान भी तेजी से बढ़ रहे हैं.इससे क्रिप्टोकरेंसी के बारे में जागरूकता का स्तर और जिज्ञासा भी बढ़ी है. ई-कॉमर्स प्लेयर्स तेजी से क्रिप्टोकरेंसी को अपने पेमेंट गेटवे के रूप में अपना सकते हैं.
तेजी से क्यों बढ़ रहा क्रिप्टोकरेंसी क्रेज ?
भारत में क्रिप्टोकरेंसी क्रेज का सबसे बड़ा कारण है कि इसमें लेनदेन में वक्त जाया नहीं होता.खरीदने,ट्रांसफर करने और ट्रांजेक्शन की तेज तकनीक इसे भारत की बड़ी युवा आबादी के बीच पॉपुलर करती है.
एक कारण यह भी है कि पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम की तरह यहाँ फीस नहीं देनी पड़ती.
क्रिप्टोकरेंसी में प्रयोग होने वाली ब्लॉकचेन तकनीक भी लोगो को इसकी ओर आकर्षित कर रही है.ट्रेड फाइनेंस में ब्लॉकचेन तकनीक का प्रमुख लाभ यह है कि यह प्रोसेसिंग टाइम को कम कर सकता है, कागज के उपयोग को समाप्त कर सकता है और पारदर्शिता, सुरक्षा और विश्वास सुनिश्चित करते हुए पैसे बचा सकता है.
क्रिप्टोकरेंसी पर किसी एक का कब्जा नहीं है.यहां पर यूजर के पास तमाम विकल्प उपलब्ध है.यह बैंकिंग सिस्टम की अपेक्षा इसे ज्यादा लचीला बनता है.
कोविड -19 वैक्सीन तेजी से आर्थिक सुधार को सक्षम कर सकती है.ऐसे समय में जब सरकारें और केंद्रीय बैंक अभी भी बड़ी मात्रा में आपातकालीन सहायता प्रदान कर रहे हैं - जो मुद्रास्फीति के एक विस्फोट को ट्रिगर कर सकता है. कुछ निवेशक क्रिप्टोकरेंसी को सोने के समान एसेट स्टोर के रूप में देखते हैं, जो आर्थिक तनाव या बढ़ती मुद्रास्फीति के समय भी अपने मूल्य को बनाए रख सकता है.
सरकारी बेरुखी का निवेशकों पर असर नहीं
केंद्र सरकार और RBI ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर समय समय पर चिंता जताई है. RBI ने कुछ महीने पहले संबंधित 'मेजर कंसर्न' की तरफ इशारा किया था. वहीं, सरकार की तरफ से डिजिटल कॉइन पर प्रतिबंध के संकेत मिले थे.राज्यसभा में इस संबंध में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए वित्त और कॉरपोरेट कार्य राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा था कि "वर्तमान में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े मसलों से निपटने के लिए अलग से कोई कानून नहीं है. इस प्रकार आरबीआई, प्रवर्तन निदेशालय, आयकर प्राधिकरण जैसे सभी संबद्ध विभाग और काननू का अनुपालन करवाने वाली एजेंसियां मौजूदा कानून के अनुसार कार्रवाई करती हैं."
इसके बावजूद क्रिप्टो के लिए बढ़ती रुचि अहम है. सख्त बैन की खबरों के बाद से अब तक गवर्नमेंट इस विषय पर शांत है. 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने 2018 का एक नियम खारिज कर दिया जिसमें बैंकों को क्रिप्टो व्यापार से दूर रखा गया था. जानकारों के मुताबिक अगर यह बैन नहीं आया होता तो क्रिप्टो बाजार और भी बड़ा हो सकता था.
रेगुलटरी स्तर पर अनिश्चितता के कारण निवेशकों में क्रिप्टो निवेश को लेकर स्वाभाविक तौर पर काफी संशय है.
अगर बैन लगा तो ये निवेशक क्या कर सकते हैं?
भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर बैन की स्थिति में, कई निवेशकों के लिए अपनी एसेट्स(क्रिप्टो) को बेचना सबसे आसान और तार्किक मार्ग होगा, लेकिन उनके पास अन्य विकल्प भी मौजूद हैं-
निवेशक अपनी क्रिप्टो एसेट को 'सेल्फ-कस्टडी वॉलेट' में ट्रांसफर कर सकते हैं, जो USB ड्राइव, माइक्रो SD कार्ड या स्मार्ट कार्ड के रूप में डिजिटल डिवाइस हैं. ये डिवाइस निवेशकों की निजी बिटकॉइन key या keys को संग्रहीत करते हैं. बिटकॉइन को स्टोर करने के लिए कुछ लोकप्रिय हार्डवेयर वॉलेट जैसे लेजर, ट्रेजर, सेफपाल और बिटलॉक्स उपलब्ध हैं.निवेशक इन वॉलेट में अपनी क्रिप्टो एसेट को स्टोर कर सकते हैं और इन वॉलेट्स को विदेशों में रह रहें अपने दोस्तों या परिवार को भेज सकते हैं,यदि वे बैन की स्थिति में अपने वॉलेट को भारत में रखने को लेकर चिंतित हैं.
हालाँकि, यहाँ भी एक मुश्किल है. यदि निवेशक भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज से वॉलेट के माध्यम से अपनी क्रिप्टो एसेट को हार्ड ड्राइव या पेन ड्राइव में स्थानांतरित करता है, तो रेगुलेटरी ऑथोरिटी इन क्रिप्टोकरेंसी को ट्रैक कर सकते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि सभी भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज KYC (अपने ग्राहक को जानें) मानदंडों का पालन करते हैं और यूजर्स को साइन अप करने के लिए अपने पैन कार्ड डिटेल देने की आवश्यकता होती है.
क्रिप्टोकरेंसी बैन की स्थिति में भारतीय निवेशकों के लिए एक अन्य विकल्प यह होगा कि वे अपने क्रिप्टोकरेंसी को सीधे विदेशों में स्थित अपने दोस्तों और परिवार को ट्रांसफर कर दें.हालांकि, एक बार क्रिप्टो एसेट किसी अन्य यूजर को ट्रांसफर कर दी जाती है, तो रिसीवर उन क्रिप्टोकरेंसी का मालिक बन जाएगा और उस देश में क्रिप्टो के नियमों के अनुसार उन एसेट्स पर भी टैक्स का भुगतान करना पड़ सकता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)