सुप्रीम कोर्ट की फटकार और फिर सरकार के अल्टीमेटम के बाद आखिरकार टेलीकॉम कंंपनी एयरटेल ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) बकाए के कुछ हिस्से का भुगतान कर दिया. भारती एयरटेल ने बताया है कि उन्होंने टेलीकॉम विभाग के बकाए में से10,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है.
कंपनी ने बयान जारी कर कहा-
भारती एयरटेल, भारती हेक्साकॉम और टेलीनॉर की ओर से टेलीकॉम विभाग को कुल 10,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया है. हम अपने अकाउंट्स का आंकलन कर रहे हैं. बाकी के बकाए को सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई के पहले जमा कर दिया जाएगा.एयरटेल
इसके पहले 14 फरवरी को टेलीकॉम विभाग ने आदेश जारी किया था जिसमें कहा गया है कि भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी कंपनियां अपने बकाए को 14 फरवरी को रात 12 बजे से पहले चुकाएं. 14 फरवरी को ही टेलीकॉम विभाग को भी सुप्रीम कोर्ट ने डेडलाइन खत्म हो जाने के बाद भी AGR का बकाया वसूल न करने को लेकर फटकार लगाई थी. टेलीकॉम विभाग ने जोन के आधार पर कंपनियों को नोटिस देने शुरू कर दिए थे. इस ऑर्डर में लिखा है सभी टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर 14 फरवरी 2020 को रात के 12 बजे से पहलेअपने बकाए का भुगतान कर दें.
SC ने दिया था 17 मार्च तक का वक्त
सर्वोच्च अदालत ने भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को अपना AGR (Adjusted Gross Revenue) 17 मार्च तक जमा करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने उस दिन इन कंपनियों और डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन यानी DOT के अफसरों को भी अदालत में हाजिर रहने को कहा.
सुप्रीम कोर्ट ने बकाया भुगतान के मामले में टेलीकॉम कंपनियों और टेलीकॉम विभाग के रवैये पर भी गहरी नाराजगी जताई थी. सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर, 2019 के अपने फैसले में कहा था कि कंपनियां 23 जनवरी, 2020 तक टेलीकॉम विभाग को एक लाख करोड़ रुपये का भुगतान कर दें. अदालत का कहना था कि कंपनियां अपने रेवेन्यू की अंडर रिपोर्टिंग कर रही हैं.
क्या है AGR?
AGR यानी Adjusted gross revenue दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूसेज और लाइसेंसिग फीस है. इसके दो हिस्से हैं- स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस. DOT का कहना है कि AGR की गणना किसी टेलीकॉम कंपनी को होने वाले संपूर्ण आय या रेवेन्यू के आधार पर होनी चाहिए, जिसमें डिपोजिट इंटरेस्ट और एसेट बिक्री जैसे गैर टेलीकॉम स्रोत से हुई आय भी शामिल है. दूसरी तरफ, टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि AGR की गणना सिर्फ टेलीकॉम सेवाओं से होने वाली आय के आधार पर होनी चाहिए.
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