केंद्र सरकार आगामी जुलाई महीने में लगभग 52 लाख केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (Dearness Allowance)को रिलीज करने पर विचार कर रही है.इसका फायदा 65 लाख से अधिक पेंशन पाने वाले रिटायर्ड कर्मचारियों को भी मिलेगा.DA एरियर पर निर्णय लेने के लिए 26 जून को केंद्रीय कर्मचारियों की प्रतिनिधि बॉडी JCM,कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के अधिकारियों और वित्त मंत्रालय( Ministry of Finance) के बीच 'नेशनल काउंसिल ऑफ JCM' की मीटिंग होनी है. इसकी अध्यक्षता कैबिनेट सेक्रेटरी करेंगे.
केंद्र सरकार ने कोरोना के कारण पिछले साल जनवरी माह से ही महंगाई भत्ते की तीन किस्तों का भुगतान नहीं किया है.वर्तमान में केंद्रीय कर्मचारियों को 17 % महंगाई भत्ता का भुगतान किया जा रहा है,जो अब 11% बढ़कर 28 % हो सकता है. यानी अगर केंद्र सरकार जुलाई 2021 से DA पर लगे रोक को हटाने का निर्णय लेती है तो एक कर्मचारी का प्रतिमाह DA भत्ता उसके मूल वेतन(बेसिक पे) का 28 % हो जाएगा. 11% की यह बढ़ोतरी तीन पेंडिंग DA हाइक को जोड़ने के बाद आती है, जिसमें जनवरी से जून 2020 तक 3% की वृद्धि, जुलाई से दिसंबर 2020 तक 4% की वृद्धि और जनवरी से जून 2021 तक 4% की वृद्धि शामिल है.
26 जून की मीटिंग पर सबकी रहेगी निगाह
JCM के सेक्रेटरी (स्टाफ साइड) शिव गोपाल मिश्रा के मुताबिक 26 जून की मीटिंग के लिए मुद्दे तय हो गए हैं. कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय द्वारा उनको 16 जून को भेजे गए "48वें नेशनल काउंसिल JCM एजेंडा नोट्स" के अनुसार 29 मुद्दों पर बातचीत होनी है, जिसमें खास हैं-
CGHS से बाहर सभी केंद्रीय कर्मचारियों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम.
CGHS की सुविधा जिन शहरों में नहीं है वहां पेंशनर्स को घरेलू खर्च की भरपाई हो.
हॉस्पिटलाइजेशन रीइम्बर्समेंट (भरपाई) का प्रावधान.
अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारियों को हॉस्पिटल पेशेंट केयर अलाउंस.
कर्मचारियों को मिलने वाला मेडिकल एडवांस.
कर्मचारी की विधवा पत्नी को भत्ता दिया जाए.
ग्रुप इंश्योरेंस स्कीम में बदलाव
महंगाई भत्ते (DA) और महंगाई राहत (DR) पर लगी रोक हटे.
2004 के बाद सरकारी नौकरी में आए लोगों को जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) की सुविधा.
7वें वेतन आयोग की सभी विसंगतियां खत्म हों.
लेकिन इसमें सबसे अहम मुद्दा होगा महंगाई भत्ते का. DA की कुल 3 पेंडिंग किस्तों का भुगतान होना है. मीटिंग के बाद ही खुलासा हो सकेगा कि यह भुगतान एक साथ होगा या किस्तों में. इसके साथ-साथ पेंशनधारकों को भी महंगाई राहत(DR) का एरियर मिलना है. अगर ऐसा होता है तो जुलाई के बाद कर्मचारियों एवं रिटायर्ड पेंशनधारकों के खाते में मोटी रकम आ सकती है.
केन्द्रीय कर्मचारियों को कितना DA एरियर मिल सकता है?
शिव गोपाल मिश्रा के अनुसार लेबल-1 के कर्मचारियों का DA एरियर ₹11,880 से लेकर ₹37,554 के बीच बनता है. वहीं लेबल-13 या लेबल-14 के कर्मचारियों का DA एरिया कैलकुलेट करने पर ₹1,44,200 से ₹2,18,220 तक आ सकता है.
महंगाई भत्ता क्या है?
महंगाई भत्ता ऐसा पैसा है जो महंगाई बढ़ने के बावजूद सरकारी कर्मचारियों के जीवन स्तर को बनाये रखने के लिये दिया जाता है .यह पैसा सरकारी कर्मचारियों, पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों और पेंशनधारकों को दिया जाता है. इसका कैलकुलेशन देश की मौजूदा महंगाई के अनुसार हर 6 महीने पर किया जाता है.
महंगाई भत्ता निर्धारण का फॉर्मूला = [(पिछले 12 महीने के AICPI का औसत - 115.76)/115.76]×100
AICPI- ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स
क्या है महंगाई भत्ता का इतिहास?
इसकी शुरुआत दूसरे विश्वयुद्ध (WW2) के दौरान हुई थी. उस वक्त सिपाहियों को खाने और दूसरी सुविधाओं के लिए वेतन से अलग यह पैसा दिया जाता था,जिसे खाद्य महंगाई भत्ता (Dearness Food Allowance) कहते थें.
भारत में सबसे पहले 1972 में मुंबई से महंगाई भत्ते की शुरुआत हुई.इसके बाद केंद्र सरकार के सभी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिया जाने लगा.आमतौर पर हर 6 महीने, जनवरी और जुलाई में DA का निर्धारण किया जाता है.
DA के कैलकुलेशन में वेतन आयोग की क्या भूमिका है?
भारत में हर वेतन आयोग से वेतन के विभिन्न पक्षों को ध्यान में रखते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के वेतन का निर्धारण करने की अपेक्षा की जाती है. वेतन आयोग अपने रिपोर्ट को तैयार करते समय महंगाई भत्ते को भी ध्यान में रखता है.वेतन आयोग उन सभी कारकों को ध्यान में रखता है जो सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के वेतन और जीवन स्तर को प्रभावित करते हैं. इसके अलावा वेतन के मल्टीप्लिकेशन फैक्टर की समीक्षा करना और उसे बदलना भी वेतन आयोग की जिम्मेदारी है.
भारत में अब तक 7 वेतन आयोग बनाए जा चुके हैं.सबसे पहला वेतन आयोग जनवरी 1946 में बनाया गया था जिसने अपनी रिपोर्ट मई 1947 में भारत की अंतरिम सरकार को सौंपी थी. 25 सितंबर 2013 को तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने सातवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी देने की घोषणा की थी. जस्टिस एके. माथुर की अध्यक्षता में बने आयोग ने 19 नवंबर 2015 को अपनी सिफारिशों की रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी.
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