ADVERTISEMENTREMOVE AD

आपकी जेब से कौन सा टैक्स कटेगा? टैक्स से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात

बजट के भारी-भरकम शब्द, अब समझना हुआ आसान

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

फिसकल डेफिसिट, डायरेक्ट टैक्स, करंट अकाउंट डेफिसिट, रेवेन्यू....जब मोदी सरकार 2.0 अपना पहला पूर्ण बजट पेश करेगी तो एक बार फिर इन शब्दों से सामना होगा. बजट आम आदमी पर सीधे असर डालता है लेकिन कई बार वो इन शब्दों के जाल में उलझ जाता है. इन शब्दों का मतलब जाने बिना बजट को समझना मुश्किल होता है. तो क्विंट हिंदी आपके लिए लाया है स्पेशल सीरीज बजट की ABCD, जिसमें हम आपको बजट से जुड़े कठिन शब्दों को आसान भाषा में समझाएंगे...शुरुआत ‘डायरेक्ट-इनडायरेक्ट टैक्स’ से.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कितने तरह का होता है टैक्स?

हमारे देश में दो तरह के टैक्स लगाए जाते हैं- डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स. डायरेक्ट टैक्स यानी प्रत्यक्ष कर वो टैक्स होता है जो सरकार व्यक्तियों और संस्थाओं से सीधा वसूलती है. डायरेक्ट टैक्स उसी करदाता को देना होता है, जिस पर वो लगाया जाता है.

डायरेक्ट टैक्स

डायरेक्ट टैक्स की देनदारी को किसी दूसरे व्यक्ति या संस्था पर ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है. डायरेक्ट टैक्स के उदाहरण हैं:- इनकम टैक्स, वेल्थ टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स, कैपिटल गेन्स टैक्स

0
मिनिमम ऑल्टरनेटिव टैक्स (मैट), फ्रिंज बेनेफिट टैक्स (एफबीटी), सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) और डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (डीडीटी) भी डायरेक्ट टैक्स के ही उदाहरण हैं.

इनडायरेक्ट टैक्स

जबकि इनडायरेक्ट टैक्स सरकार वस्तुओं और सेवाओं पर लगाती है, ये टैक्स वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण या बिक्री के वक्त लगाए जाते हैं. इसका सबसे अच्छा उदाहरण है जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स. पहले कस्टम्स ड्यूटी, सेंट्रल एक्साइज टैक्स और सेल्स टैक्स जैसे जो कर लिए जाते थे, वो भी इनडायरेक्ट टैक्स के दायरे में ही आते थे.

इनकम टैक्स

ये हर नागरिक पर लगने वाला सबसे महत्वपूर्ण टैक्स है. इसकी दरें अलग-अलग व्यक्तियों की आमदनी के मुताबिक अलग-अलग होती हैं. किसी व्यक्ति को अगर किसी भी स्रोत से कोई आमदनी होती है और वो अगर एक तय सीमा (टैक्सेबल इनकम) से ज्यादा है, तो फिर उस आमदनी पर आयकर देना होता है. आय के कई स्रोत हो सकते हैं जिनमें से कुछ इस तरह हैं:

बजट के भारी-भरकम शब्द, अब समझना हुआ आसान

कॉरपोरेट टैक्स

यह टैक्स उन कंपनियों पर लगाया जाता है, जिन्हें कानून की नजर में कंपनियों के शेयरहोल्डरों से अलग हस्ती माना जाता है. विदेशी कंपनियों को भी भारत से होने वाली आमदनी पर टैक्स देना होता है. ये आमदनी रॉयल्टी, ब्याज, कैपिटल गेन्स या फिर डिविडिंड किसी भी रूप में हो सकती है.

डायरेक्ट टैक्स की वसूली

भारत में डायरेक्ट टैक्स की वसूली का जिम्मा सीबीडीटी यानी सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज के पास है. पिछले 3 वित्त वर्ष में भारत में डायरेक्ट टैक्स के आंकड़े कुछ इस प्रकार रहे हैं:-

बजट के भारी-भरकम शब्द, अब समझना हुआ आसान

यानी साल-दर-साल देश में डायरेक्ट टैक्स की वसूली बढ़ती जा रही है. वित्त वर्ष 2016-17 में ये रकम करीब साढ़े आठ लाख करोड़ रुपए थी, जो 2018-19 में बढ़कर 11 लाख करोड़ से भी ज्यादा हो गई.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×