दिल्ली हाई कोर्ट में मंगलवार को एक जनहित याचिका दायर कर COVID-19 महामारी के दौरान केंद्र सरकार को सेंट्रल विस्टा एवेन्यू पुनर्विकास प्रोजेक्ट की निर्माण गतिविधियां रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया.
चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच के सामने केंद्र ने इस जनहित याचिका का विरोध किया है. बेंच ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद कहा कि पहले वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन करना चाहती है कि उसने प्रोजेक्ट को अनुमति देते हुए क्या फैसला दिया था. इस टिप्पणी के साथ अदालत ने मामले को स्थगित कर दिया और सुनवाई की अगली तारीख 17 मई तय कर दी.
आवास और केंद्रीय लोक निर्माण विभाग की तरफ से पेश हुए केंद्र सरकार के वकील अनुराग अहलुवालिया और अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल चेतन शर्मा ने बेंच से कहा कि सुनवाई की अगली तारीख तक जवाब दाखिल किया जा सकता है.
अनुवादक के तौर पर काम करने वाली अन्या मल्होत्रा और इतिहासवेत्ता और डॉक्युमेंटरी फिल्म निर्माता सोहेल हाशमी ने याचिका दायर कर दावा किया है कि महामारी के दौरान अगर प्रोजेक्ट पर काम चलता रहा तो इसके ‘सुपर स्प्रेडर’ बनने की आशंका है. याचिका में कहा गया है कि इस प्रोजेक्ट के निर्माण को एक 'जरूरी गतिविधि' नहीं बताया जा सकता है.
कोरोना के बीच नए PM आवास की डेडलाइन तय
अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में CPWD के हवाले से बताया गया है कि नए प्रधानमंत्री आवास के बनने की समयसीमा तय हो चुकी है. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के हिस्से के तौर पर नया प्रधानमंत्री आवास दिसंबर 2022 तक बनकर तैयार हो जाएगा. वहीं नए उपराष्ट्रपति आवास के मई 2022 तक तैयार हो जाने की समयसीमा तय की गई है.
राष्ट्रीय राजधानी में लॉकडाउन जारी रहने के बीच भी इस प्रोजेक्ट का काम जारी रहा है. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत निर्माण के काम को ‘‘जरूरी सेवाओं’’ में शामिल किए जाने की विपक्ष जमकर आलोचना कर चुका है.
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की घोषणा सितंबर 2019 में की गई थी. इसके तहत त्रिकोण के आकार वाले नए संसद भवन का निर्माण किया जाएगा जिसमें 900 से 1200 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी.
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