कोरोना लॉकडाउन में थोड़ी ढील के बीच इंडस्ट्री लीडर्स जल्दी से अपने काम बहाल करना चाहते हैं, लेकिन वे केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशा निर्देशों में दिए एक क्लॉज से डरे हुए हैं. इस क्लॉज के तहत कोरोना वायरस से निपटने के लिए लागू कदमों के उल्लंघन पर चीफ एग्जीक्यूटिव से लेकर कर्मचारी तक जेल जा सकता है.
अंग्रेजी अखबार द इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से जुड़े लोगों का कहना है कि सजा संबंधी क्लॉज पुलिस और बाकी अथॉरिटीज को फैक्ट्री मालिकों को परेशान करने और उसने पैसा वसूलने का मौका देगी. ये फैक्ट्री मालिक जल्दी से अपने काम को बहाल करना चाहते हैं ताकि वो कर्मचारिया का भुगतान कर सकें. रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर इंडस्ट्री लीडर इस मामले पर ऑन रिकॉर्ड कुछ कहना नहीं चाहते, लेकिन कुछ ने अपनी चिंताएं जाहिर की हैं.
जो इंडस्ट्री इस मामले पर नर्वस हैं, उनमें टेस्टाइल यूनिट्स भी शामिल हैं, जिनको कोरोना लॉकडाउन के बीच पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश सहित कुछ राज्यों में काम बहाल करने की अनुमति दी गई है, बशर्ते वे गृह मंत्रालय की गाइडलाइन्स का पालन सुनिश्चित करें.
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व चेयरमैन विजय सेठिया का कहना है, ''इंडस्ट्री COVID-19 से निपटने के लिए सरकार की गाइडलाइन्स का पालन करने को पूरी तरह प्रतिबद्ध है, लेकिन वर्कर्स के पॉजिटिव पाए जाने की सूरत में मालिकों के खिलाफ FIR की क्लॉज बड़ी बाधा है.'' हालांकि सरकारी अधिकारियों का कहना है कि कारोबारियों को डरने की जरूरत नहीं है.
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