अगस्त और सितंबर 2020 में, एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) ने 317 विज्ञापनों के खिलाफ शिकायतों पर गौर किया. ASCI के दखल पर इनमें से 64 विज्ञापनों को एडवर्टाइजर्स की तरफ से तुरंत हटा लिया गया.
ASCI की इंडिपेंडेंट कम्प्लेन्स काउंसिल (CCC) ने बाकी 253 विज्ञापनों का मूल्यांकन किया, जिनमें से 221 विज्ञापनों के खिलाफ शिकायतों को मान्य ठहराया गया. ASCI ने एक प्रेस रिलीज में बताया है कि इन 221 विज्ञापनों में से 101 शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हैं, जबकि 77 हेल्थ केयर, 8 खाद्य और पेय पदार्थ, 7 पर्सनल केयर, 3 वित्त और निवेश और 25 दूसरी कैटिगरीज से जुड़े हुए हैं.
32 विज्ञापनों के खिलाफ शिकायतों को मान्य नहीं ठहराया गया क्योंकि इन विज्ञापनों को ASCI कोड का उल्लंघन करते हुए नहीं पाया गया.
ASCI के मुताबिक, अगस्त और सितंबर दोनों महीनों में , शिक्षा क्षेत्र से जुड़े संस्थानों के विज्ञापनों में भ्रामक और गलत दावों में तेजी देखी गई. ये दावे इस तरह के थे:
- अपने क्षेत्र में शीर्ष स्थान/रैंकिंग नंबर 1
- 100 फीसदी जॉब प्लेसमेंट
- 100 फीसदी पासिंग रेट
ऐसे कई दावों को ASCI कोड का उल्लंघन करते पाया गया. ASCI की प्रेस रिलीज में बताया गया है कि एक ऑनलाइन लर्निंग ऐप ने खुद को ऑनलाइन क्लासेज की बेस्ट और अगुवा ऐप बताया था. हालांकि कई शैक्षणिक संस्थानों के पास उनके दावों को सही ठहराने के लिए पर्याप्त डेटा या सर्वे नहीं थे.
इस बीच, कई विज्ञापनदाता उपभोक्ताओं के डर और असुरक्षा का फायदा उठाने की कोशिश में दिखे, विशेष रूप से इस कोरोना वायरस महामारी की स्थिति में. ऐसे ज्यादातर विज्ञापन हेल्थ सेक्टर से संबंधित थे, जिनमें ब्रैंड्स ने COVID-19 के इलाज या रोकथाम को लेकर गलत दावे किए.
ASCI ने बताया है कि उसने कुछ ऐसे विज्ञापनों पर भी गौर किया:
- जैसे कि एक मामले में एक कंपनी ने दावा किया था कि उसका पेंट घर वालों को जर्म्स से बचाता है
- एक कपड़ों की कंपनी ने 99 फीसदी जर्म्स मारने का दावा किया था
- एक विज्ञापन में दावा किया गया था कि उनका फैब्रिक एंटी-कोरोना है
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