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स्टील की कीमत आसमान पर, कई प्रोडक्ट से प्रोजेक्ट तक हो रहे महंगे

क्यों बढ़ी कीमत, स्टील कंपनियों का क्या कहना है?

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भारत में स्टील की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचे स्तर को छू चुकी हैं. इसकी मार सरकारी प्रोजेक्ट्स, कई अहम सेक्टर से लेकर बाकी उपभोक्ताओं तक पर पड़ सकती है. मुद्दा इतना गंभीर है कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी तक इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेटर लिख चुके हैं. मगर अभी भी स्थिति संभलती हुई नहीं दिख रही.

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कितनी बढ़ीं कीमतें, क्या होगा असर?

लाइव मिंट के मुताबिक, हॉट रोल्ड कॉइल (HRC) की कीमत - जिसे फ्लैट स्टील के प्राइस ट्रेंड का अहम संकेतक माना जाता है - बढ़कर अपने सबसे ऊंचे स्तर (औसतन 58000 रुपये प्रति टन) तक पहुंच गई है. बता दें कि जुलाई 2020 में यह कीमत करीब 37,400 रुपये प्रति टन थी.

ऐसे में फ्लैट स्टील के कंज्यूमर जैसे कि ऑटो और कंज्यूमर ड्यूरेबल मैन्युफैक्चर्स पहले ही अपने उत्पादों की कीमत में बढ़ोतरी का ऐलान कर चुके हैं. इस बीच इन मैन्युफैक्चर्स पर काफी दबाव है क्योंकि कोरोना वायरस महामारी के बीच मार्केट में डिमांड हाल ही में लौटनी शुरू हुई है, लेकिन प्रोडक्ट्स की कीमतें बढ़ने से उस पर फिर से असर हो सकता है.

क्यों बढ़ी कीमत, स्टील कंपनियों का क्या कहना है?

इस महीने यात्री वाहनों, कमर्शियल वाहनों और खेती से जुड़े उपकरणों की कीमतें 1-4 फीसदी तक बढ़ सकती हैं. इसके अलावा टेलीविजन, रेफ्रिजरेटर और वॉशिंग मशीन जैसे प्रोडक्ट्स के दाम 10 फीसदी तक बढ़ सकते हैं.

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इंडस्ट्री से लेकर केंद्रीय मंत्री तक ने की शिकायत

स्टील की खपत पर निर्भर सेक्टर्स का प्रतिनिधित्व करने वाली इंडस्ट्री बॉडी, लघु और मध्यम उद्योग और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी स्टील की लगातार बढ़ती कीमतों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिकायत कर चुके हैं.

सड़क परिवहन, राजमार्ग और एमएसएमई मंत्री गडकरी ने दिसंबर में स्टील मैन्युफैक्चरर्स को मुनाफाखोरी के लेकर सचेत किया था. उन्होंने कहा था, ‘‘पिछले 6 महीनों में स्टील की कीमतों में 55 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. मैंने प्रधानमंत्री और इस्पात मंत्री (धर्मेंद्र प्रधान) को इस बारे में फैसला करने के लिए लिखा है.’’

गडकरी ने कहा था कि स्टील की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते कई प्रोजेक्ट्स को पूरा करना मुश्किल हो रहा है. उन्होंने आगे कहा था कि अगर कंपनियां इस पर अंकुश लगाने में नाकाम रहीं तो सरकार को नीतियों में बदलाव करना होगा और प्रोजेक्ट्स में बाकी विकल्पों को बढ़ावा देना होगा.

क्यों बढ़ीं कीमतें, स्टील कंपनियों का क्या कहना है?

अंतरराष्ट्रीय पहलू की बात करें तो पिछले कुछ वक्त से, जापान और साउथ कोरिया जैसे स्टील का निर्यात करने वाले देशों में इसका प्रोडक्शन कम होने की वजह से डिमांड और सप्लाई के बीच संतुलन बिगड़ गया है. दूसरा पहलू घरेलू स्टील कंपनियों से जुड़ा है, जिसे लेकर उन्होंने अपनी दलील दी है.

गडकरी के लेटर के बाद दिसंबर में ही स्टील कंपनियों के एक संगठन इंडियन स्टील एसोसिएशन (आईएसए) ने भी पीएम मोदी को लेटर लिखा था और बताया था कि कच्चे माल की बढ़ती कीमतों के चलते स्टील के दाम बढ़ाने पड़े हैं.

आईएसए ने पीएमओ को लिखे अपने लेटर में कहा था, ‘‘हम कुछ बहुत ही गंभीर और बाध्यकारी वजह बताना चाहते हैं, जिसके चलते स्टील उद्योग को कीमतें बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ा है. उसके पास कोई बाकी विकल्प नहीं रह गया था.’’

आईएसए ने लौह अयस्क से संबंधित मुद्दों, कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी, ग्लोबल स्टील सप्लाई में कमी और COVID संबंधी बाधाओं के चलते क्षमता का कम इस्तेमाल हो पाने के बारे में बताया था. संगठन ने प्रमुख कच्चे माल के लिए आपूर्ति पक्ष के स्थिर होने तक लौह अयस्क निर्यात पर अस्थायी प्रतिबंध लगाने की मांग की थी.

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