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नितिन गडकरी बोले- GST प्रणाली में है सुधार की गुंजाइश

Goods and Services Tax व्यवस्था के चार साल पूरे होने के मौके पर नितिन गडकरी का बयान

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जीएसटी (Goods and Services Tax) व्यवस्था के चार साल पूरे होने के मौके पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने गुरुवार को कहा कि यह टैक्स सुधार काफी अहम और जरूरी था. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस अप्रत्यक्ष टैक्स प्रणाली में सुधार की गुंजाइश है.

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सड़क परिवहन और राजमार्ग के साथ सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम मंत्रालय की भी जिम्मेदारी संभाल रहे गडकरी ने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों और शराब को जीएसटी व्यवस्था में लाने के लिए राज्यों के साथ आम सहमति बनाने की जरूरत है क्योंकि देश में संघीय ढांचा है.

वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) दिवस पर इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) के एक कार्यक्रम में गडकरी ने कहा, ‘‘यह कर सुधार (जीएसटी) काफी जरूरी था...हालांकि जीएसटी लागू हुए चार पूरे हो गए हैं, मुझे लगता है कि इसमें सुधार की गुंजाइश है और हम संबंधित पक्षों के साथ मिलकर इसे और बेहतर बना सकते हैं.’’
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देशभर में जीएसटी एक जुलाई 2017 से लागू हुआ था. इसमें उत्पाद शुल्क, सेवा कर और वैट जैसे 17 स्थानीय कर समाहित हुए हैं.

अपने बेबाक बयानों के लिए मशहूर गडकरी ने यह भी कहा कि जीएसटी से जुड़ी कुछ समस्याएं अभी भी एमएसएमई क्षेत्र के लिए कठिनाइयां पैदा कर रही हैं.

उन्होंने कहा कि जब एमएसएमई किसी सामग्री का बिल बनाते हैं और उन्हें संबंधित कंपनियों को देते हैं, तो यह उनकी (एमएसएमई) जिम्मेदारी है कि भले ही वे भुगतान प्राप्त करें या नहीं, उन्हें कर जमा करना जरूरी है.

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मंत्री ने कहा, ‘‘और सरकार में, खासकर एमएसएमई के साथ बहुत सारी समस्याएं हैं. उन्हें देरी से भुगतान हमारे लिए एक बड़ी समस्या है, और सभी छोटे एमएसएमई पहले से ही समस्याओं का सामना कर रहे हैं.’’
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उन्होंने कहा कि इसका कुछ रास्ता निकालने की जरूरत है, ताकि लोगों को कुछ राहत मिल सके.

गडकरी ने कहा, ‘‘राज्य, उनके उपक्रम, केंद्र, उनके उपक्रम, विभिन्न विभाग, बड़े उद्योग और बड़े लोग एमएसएमई को समय पर भुगतान नहीं करते...इसके कारण कई सारी आर्थिक समस्याएं पैदा होती हैं.’’

गडकरी ने कहा कि जीएसटी से 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि जीएसटी ‘एक राष्ट्र, एक बाजार, एक कर’ की धारणा पर लागू किया गया है.

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