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GDP Q2: क्या अब भारत की अर्थव्यवस्था ने रफ्तार पकड़ ली है? पढ़िए एक्सपर्ट की राय

निर्माण, व्यापार, होटल और सेवाएं जैसे क्षेत्र फिर ग्रो कर रहे हैं और महामारी से पहले के स्तर के करीब आ रहे हैं.

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इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर तिमाही में देश की जीडीपी 8.4% (Q2 GDP- 8.4%) हो गई है. 2021-22 में जीडीपी ऐट कॉन्स्टैंट प्राइसेज 35.73 लाख करोड़ रुपए रहा है. इससे पहले 2020-21 की दूसरी तिमाही में यह आंकड़ा 32.97 करोड़ रुपए पर था.

इस ग्रोथ एक्सपर्ट्स किस नजर से देख रहे हैं इस पर नजर डालते हैं.

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बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के मुताबिक, केयर रेटिंग्ज के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस कहते हैं,

“इस तिमाही में कृषि विकास 3.5-4.0 प्रतिशत के लॉन्गटर्म औसत से थोड़ी बेहतर है और यह पूरी तरह से सांख्यिकीय कारणों से है क्योंकि जुलाई-सितंबर में बहुत कम फसल उत्पादन बाजार में आया था. यह ज्यादातर रबी और संबंधित क्षेत्र का उत्पादन है जो इस बार हावी है."

एचडीएफसी बैंकी की चीफ इकोनॉमिस्ट साक्षी गुप्ता ने रॉयटर्स को बताया,

8.4% पर Q2 के लिए जीडीपी की वृद्धि इस बात की पुष्टि करती है कि अर्थव्यवस्था को दूसरी तिमाही में बढ़ोतरी हासिल हुई यानी यहां से अब इसके बढ़ने की संभावना है. सप्लाय साइड पर कृषि विकास ने अच्छा किया, साथ ही सर्विस सेक्टर की वृद्धि में 10.2% की वृद्धि के साथ-साथ होटेल-टूरिज्म जैसे क्षेत्रों में और वित्तीय, रियल एस्टेट के क्षेत्रों में सुधार हुआ. डिमांड साइड देखें तो निवेश में वृद्धि ने अच्छा किया है. "

महिंद्रा ग्रुप के चीफ इकोनॉमिस्ट सच्चिदानंद शुक्ला ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि सेक्टर लेवल पर एग्रीकल्चर ग्रोथ अच्छी रही है. यहां तक ​​​​कि निर्माण और व्यापार, होटल और सेवाएं जैसे क्षेत्र वापस ग्रो कर रहे हैं और महामारी के आने से पहले के स्तर के करीब आ रहे हैं. उन्होंने कहा ये इसलिए जरूरी है, क्योंकि ये क्षेत्र निचले स्तर पर नौकरियां देते हैं. वो कहते हैं कि सरकार ने जो खर्च किया उससे भी वे उत्साहित हैं.

Elara Capital की इकोनॉमिस्ट गरीमा कपूर कहती हैं, "वैक्सीनेशन की शानदार गति, मुख्य रूप से सर्विस सेक्टर में रुकी हुई मांग फिर बढ़ना, प्राइवेट इन्वेस्टमेंट में बढ़ोतरी यहां सहायक बनी रहेगी, फिर भले ही महंगाई और ग्रामीण क्षेत्रों में गिरावट हो."

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इकोनॉमिस्ट निखिल गुप्ता कहते हैं, " व्यापक तौर पर सब ठीक है, लेकिन कमजोर हाउसओल्ड सेक्टर के साथ, खपत में गिरावट जारी रह सकती है. इसके अनुसार, हम मानते हैं कि वास्तविक जीडीपी की वृद्धि इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में 5-5.5% हो सकती है."

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