इकनॉमी के मोर्चे पर सरकार के लिए राहत की खबर है. वित्त वर्ष 2017-18 का आखिरी तिमाही में अर्थव्यवस्था की विकास दर 7.7 फीसदी दर्ज की गई है. पिछली तिमाहियों की तुलना में जनवरी-मार्च तिमाही में इकनॉमी ने अच्छा प्रदर्शन किया है. इस तिमाही के दौरान ग्रोथ के आंकड़े सरकार की विकास दर 7.1 फीसदी से भी ज्यादा रही.
मैन्यूफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन और एग्रीकल्चर सेक्टर का अच्छा प्रदर्शन
वित्त वर्ष 2016-17 की आखिरी तिमाही की तुलना में वित्त वर्ष 2017-18 की आखिरी तिमाही में ग्रॉस वैल्यू एडिशन (जीवीए) में 1.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इसमें मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में अच्छे प्रदर्शन की भूमिका रही. एग्रीकल्चर सेक्टर में ग्रोथ ट्रेंड से ज्यादा रहा.
मैन्यूफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन और सर्विस सेक्टर के शानदार प्रदर्शन की बदौलत जनवरी - मार्च 2018 में देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.7% रही जो कि सात तिमाहियों में सबसे ऊंची है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार हालांकि, पूरे वर्ष 2017-18 में वृद्धि दर धीमी पड़कर 6.7% रह गई जो कि 2016-17 में 7.1% रही थी. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार,‘2011-12 के मूल्यों के आधार पर 2017-18 की चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.7% रही. यह दर 2017-18 की पहली तीन तिमाहियों में क्रमश : 5.6%, 6.3% तथा 7% थी.
नोटबंदी के बाद की सबसे अच्छी ग्रोथ
इसके अनुसार कृषि (4.5 फीसदी ), मैन्यूफैक्चरिंग (9.1 फीसदी ) तथा कंस्ट्रक्शन (11.5 फीसदी ) क्षेत्र की तीव्र वृद्धि ने कुल वृद्धि में योगदान किया. इससे पहले अप्रैल- जून 2016-17 तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 8.1 फीसदी के उच्च स्तर पर रही थी. जनवरी - मार्च 2016-17 तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 6.1% रही थी.
वित्त वर्ष 2016-17 की जुलाई-सितंबर तिमाही के बाद यह सबसे अच्छी ग्रोथ रेट है. सरकार ने इस तिमाही के बाद ही देश में 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों के प्रचलन को खत्म करने का फैसला लिया था. तब से इकॉनमी की ग्रोथ कई प्वाइंट गिर गई थी. आलोचकों का कहना था कि नोटबंदी और जीएसटी को सही ढंग से लागू न किए जाने के चलते इकॉनमी में यह गिरावट आई है.
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