प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए लगातार पांच साल तक 9 फीसदी की ग्रोथ रेट हासिल करनी होगी. साथ ही निवेश को जीडीपी के 38 फीसदी पर पहुंचाना होगा. Ernst & Young (EY) ने ‘इकनॉमी वॉच’ के ताजा एडिशन में यह बात कही है.
ईवाई ने कहा कि यदि भारत 31 मार्च, 2020 को खत्म होने वाले फाइनेंशियल ईयर में सात फीसदी की ग्रोथ रेट हासिल करता है, तो देश की अर्थव्यवस्था का आकार बढ़कर 3,000 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा जो अभी 2,700 अरब डॉलर है.
यदि भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार पांच साल तक 9 फीसदी की ग्रोथ रोट हासिल करती है, तो 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 3,300 अरब डॉलर हो जाएगा. 2021-22 में यह 3,600 अरब डॉलर, 2022-23 में 4,100 अरब डॉलर, 2023-24 में 4,500 अरब डॉलर और 2024-25 में 5,000 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा.ईवाई
रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि इन्फ्लेशन रेट चार फीसदी रहता है तो 2024-25 तक देश की अर्थव्यवस्था के आकार को 5,000 अरब डॉलर पर पहुंचाने के लिए नौ फीसदी ग्रोथ रेट की जरूरत होगी.
रिपोर्ट कहती है कि 2020-21 में ग्रोथ रोट को 9 फीसदी पर पहुंचाने के लिए इंवेस्टमेंट रेट को जीडीपी के 38 फीसदी पर पहुंचाने की जरूरत होगी, जो 2018-19 में 31.3 फीसदी है. 2018-19 में ग्रोस इंवेस्टमेंट रेट 31.3 फीसदी रहा था अैर इस पर 6.8 फीसदी का एक्चुअल ग्रोथ रेट हासिल हुआ था.
भारत ने इससे पहले 2011- 12 में सबसे ज्यादा 39.6 फीसदी का इंवेस्टमेंट रेट हासिल किया था. वहीं चीन में एवरेज सेविंग और इंवेस्टमेंट रेट काफी लंबे समय तक 45 फीसदी पर बनी रहा. बता दें, टोटल इंवेस्टमेंट में पब्लिक इंवेस्टमेंट, डोमेस्टिक लेवल पर होने वाला इंवेस्टमेंट और प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों की ओर से होने वाला इंवेस्टमेंट सभी शामिल होता है.
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