गुजरात में कताई यानी स्पिनिंग मिलों का यह पीक सीजन है. लेकिन राजकोट से 50 किलोमीटर पूरब में चोटिला की कताई मिलों में ट्रकों की आवाजाही का शोर कम हो गया है. इस सीजन में यहां की स्पिनिंग मिलों में चौबीसों घंटों काम होता था लेकिन इस बार 12 घंटे से ज्यादा काम नहीं हो पा रहा है. मिलों की रफ्तार कम होने की सबसे बड़ी वजह है जीएसटी.
रिफंड मिलने में देरी से बिगड़ी तस्वीर
ब्लूमबर्ग क्विंट के मुताबिक जीएसटी के तहत कॉटन की खरीद पर 5 फीसदी टैक्स लगता है. पहले कारोबारियों पर कोई लेवी नहीं लगती थी. अब इनपुट मसलन डाई और केमिकल पर 12 और 18 फीसदी का टैक्स लगता है. एक्सपोर्ट करने के वक्त पांच फीसदी टैक्स लगता है. इतना टैक्स देने से कारोबारियों की कामकाजी पूंजी (वर्किंग कैपिटल) का एक बड़ा हिस्सा जीएसटी अदा करने में चला जाता है. अगर सरकार से रिफंड मिलने की रफ्तार तेज रहती तो कोई चिंता नहीं थी. लेकिन टैक्स डिपार्टमेंट के पास बड़ी तादाद में मिलों का रिफंड क्लेम अटका हुआ है और मिलों की कामकाजी पूंजी यानी वर्किंग कैपिटल का एक बड़ा हिस्सा भी ब्लॉक हो गया है.
आखिर मिलों को रिफंड मिलने में देर क्यों हो रही है. जीएसटी नेटवर्क पर अपलोड किए जाने वाले सेल्स और परचेज इनवॉयस का मिलान जरूरी है. तभी रिफंड क्लेम किया जा सकेगा. सबसे बड़ी समस्या इनवॉयस मैचिंग में आ रही है. ग्रांट थोर्नटन इंडिया के सुरेश रोहिरा बताते हैं,
डॉक्यूमेंट्स फाइल किए जा रहे हैं लेकिन इनवॉयस मैच नहीं हो रहे हैं . यहां तक कि परचेज या सेल्स इनवॉयस में से किसी एक में भी yarns में ‘s’ न लिखा हो तो भी रिफंड क्लेम खारिज हो सकता है.सुरेश रोहिरा, पार्टनर- ग्रांट थोर्नटन इंडिया
निर्यातकों को इनपुट टैक्स कैश में देना होता है और फिर रिफंड पाने के लिए इंतजार करना पड़ता है. सरकार ने रिफंड देना शुरू किया है लेकिन स्पीड काफी धीमी है. स्पिनिंग मिलों के पास पैसा न पहुंच पाने से संकट के हालात पैदा हो गए हैं.
राजकोट के सिद्धांत कोटेक्स मिल को रिफंड में चार करोड़ रुपये मिलने हैं. मिल के मालिक सुरेश कहते हैं,
पहले मेरा टर्नओवर 350 करोड़ रुपये का था लेकिन अब रिफंड न मिलने से मेरे पास वर्किंग कैपिटल कम हो गया है. और लगता नहीं है कि इस बार मेरा टर्नओवर 150 करोड़ रुपये से ऊपर जा पाएगा. अगर ऐसा ही चला तो स्पिनिंग इंडस्ट्री ठप हो जाएगीसुरेश पटेल, मालिक - सिद्धांत कोटेक्स मिल
मजदूरों की दिहाड़ी कम हुई
जीएसटी से पैदा इस संकट का खामिजाया सिर्फ स्पिनिंग मिल मालिक ही नहीं भुगत रहे हैं. सीजन में काम घटने का असर मजदूरों की कमाई भी पड़ा है. सिद्धांत कोटेक्स मिल में काम करने वाले मजदूर गबरू घांघड़ ने बताया कि चूंकि अब कपास के आधे ट्रक ही आते हैं. इसलिए मजदूरी 200 रुपये से घट कर 150 रुपये हो गई है. पहले महीने भर काम मिल जाता था. लेकिन अब 15 दिन ही काम नहीं मिल पा रहा है. कैश की कमी की वजह से मजदूरों की छंटनी भी हो रही है.
इनपुटः ब्लूमबर्ग क्विंट
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