एक और परंपरा टूटने वाली है. सरकार अगले साल 1 फरवरी को अंतरिम नहीं, फुल बजट पेश करने की तैयारी में है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 3 दिसंबर से वित्त मंत्रालय में पत्रकारों की आवाजाही पर रोक लगने वाली है.
अमूमन बजट की तैयारी में जुटे अधिकारियों के बाहरी लोगों से मिलने पर कुछ महीने पहले से ही रोक लगा दी जाती है. ऐसा इसीलिए होता है, ताकि बजट की गोपनीयता बनी रहे और टैक्स प्रस्तावों में होने वाले संभावित बदलाव की जानकारी समय से पहले बाहर नहीं आए.
अभी तक परंपरा रही है कि चुनावी साल में सरकार अंतरिम बजट ही पेश करती है, ताकि चुनाव के बाद आने वाली सरकार को अपनी पॉलिसी के हिसाब से बजट पेश करने की छूट मिले. लेकिन मोदी सरकार इस परंपरा को तोड़ने की तैयारी कर रही है.
दलील है कि चुनाव के बाद भी इसी सरकार की वापसी की संभावना है. ऐसे में पॉलिसी में कंटिन्यूटी के लिए जरूरी है कि फुल बजट को अपने समय से ही पेश किया जाए. इसके जरिए यह भी मैसेज देने की कोशिश होगी कि चुनाव तो होते रहेंगे, जरूरी सरकारी कामों पर चुनाव को कोई असर नहीं होना चाहिए.
अनुमान यह भी है कि पूर्ण बजट में पॉपुलर घोषणाएं हो सकती हैं, जो चुनाव में कारगर साबित हो सकें. विरोध की सूरत में सरकार की तरफ से ये दलील हो सकती है कि उसने परंपरा में बदलाव किया है, नियमों को अपने हिसाब से नहीं बदला है. हां, ये संभव है कि बजट के कुछ प्रस्तावों पर असहमति की सूरत में विपक्षी पार्टियां चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाए.
फिलहाल वित्त मंत्रालय ने अलग-अलग मंत्रालयों से बजट के लिए इनपुट मंगाने शुरू कर दिए हैं. मंत्रालयों को 30 नवंबर तक अपने इनपुट देने हैं.
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