भारत के केंद्रीय बैंक RBI के मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक गुरुवार, 8 जून को खत्म होगी. गुरुवार को ही RBI गवर्नर शक्तिकांत दास बेंचमार्क ब्याज दर/रेपो रेट (Repo Rate) पर MPC के निर्णय की घोषणा करेंगे. मौजूदा महंगाई दर को देखते हुए अधिकतर अर्थशास्त्री इस बात पर एकमत हैं कि RBI रेपो रेट में वृद्धि कर सकता है.
मौद्रिक नीति समिति का निर्णय आने से से एक दिन पहले मंगलवार, 7 जून को शेयर बाजार (Stock Market) में गिरावट दर्ज की गई. ऐसे में हम इन सवालों का जानने की कोशिश करते हैं:
महंगाई दर का दबाव झेल रहा RBI रेपो रेट में कितनी बढ़ोतरी कर सकता है?
आखिर RBI रेपो रेट में बदलाव कर महंगाई को कैसे नियंत्रित करता है?
क्या RBI अपने महंगाई लक्ष्य में भी बदलाव करने जा रहा है?
रेपो रेट बढ़ा तो शेयर बाजार, आम लोगों की जेब पर क्या असर पड़ेगा?
RBI रेपो रेट में कितनी बढ़ोतरी कर सकता है?
गवर्नर शक्तिकांत दास ने खुद 23 मई को संकेत दिया था कि केंद्रीय बैंक महंगाई को कम करने के लिए नीतिगत ब्याज दरों/ रेपो रेट में बढ़ोतरी जारी रखेगा. गवर्नर दास ने CNBC-TV18 को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि
“रेपो रेट में बढ़ोतरी की उम्मीद सहज बात (नो-ब्रेनर) है. रेपो रेट में कुछ बढ़ोतरी होगी. लेकिन यह कितनी होगी, मैं अभी नहीं बता पाऊंगा. लेकिन यह कहना कि अब 5.15 प्रतिशत कर दिया जाएगा, यह सही नहीं होगा."
मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि मौजूदा रेपो रेट में 35 बेसिस प्वाइंट (bps) से 50 bps (0.35%- 0.50%) की बढ़ोतरी की जा सकती है. जबकि कई एक्सपर्ट्स को उम्मीद है कि RBI रेपो रेट में 40-50 bps तक की बढ़ोतरी कर सकता है.
रिपोर्ट के अनुसार महिंद्रा ग्रुप के अर्थशास्त्री सरबार्थो मुखर्जी का कहना है कि "निश्चित रूप से रेट रेपो में बढ़ोतरी होगी. यह या तो 40 बीपीएस या 50 बीपीएस हो सकती है".
RBI रेपो रेट में बदलाव कर महंगाई को कैसे नियंत्रित करता है?
इस सवाल के जवाब से पहले आपको आसान भाषा में बताते हैं कि रेपो रेट क्या होता है. दरअसल जब कमर्शियल बैंकों (commercial banks) को धन की जरुरत होती है, तो वे देश के केंद्रीय बैंक से धन उधार लेते हैं. रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर केंद्रीय बैंक कमर्शियल बैंकों को पैसा उधार देता है.
देश की सरकार या केंद्रीय बैंक रेपो रेट की मदद से एक साथ महंगाई को नियंत्रित करने और विकास के दर को बनाए रखने की कोशिश करता है. रेपो रेट से केंद्रीय बैंक बाजार में पैसे की तरलता को नियंत्रित करता है.
अर्थव्यवस्था के विकास के लिए देश में महंगाई दर का एक खास स्तर जरुरी होता है. लेकिन जब महंगाई दर निर्धारित स्तर (भारत में 2% से 6% के बीच) को पार कर जाता है तो आरबीआई रेपो रेट को बढ़ा देता है. ब्याज की इस दर के बढ़ने से केंद्रीय बैंक से पैसा उधार लेना अधिक महंगा हो जाता है और अंततः बाजार में पैसे की तरलता कम होती है. बाजार में कम पैसा होने के कारण लोगों की मांग कम होती है और महंगाई नीचे आती है.
क्या RBI अपने महंगाई लक्ष्य में भी बदलाव करने जा रहा है?
RBI द्वारा महंगाई पर सर्वे (Inflationary Expectations Survey) से पता चलता है कि मार्च 2022 में इसमें शामिल 89.9% लोगों का मानना था कि कीमतें आगे बढ़ेंगी. खास बात है कि जनवरी 2022 में 85.6 % लोगों ने महंगाई बढ़ने की उम्मीद जताई थी.
खाद्य पदार्थों और फ्यूल में महंगाई से भारत में खुदरा मुद्रास्फीति पहले ही आठ साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई है. यह अप्रैल में 7.79 प्रतिशत को छू रही थी. साथ ही भारत की थोक महंगाई अप्रैल में 15.08% पर पहुंच गई, जो 27 साल में सबसे ज्यादा है.
अर्थशास्त्रियों के अनुसार मौजूदा यूक्रेन-रूस युद्ध ने इनपुट लागत को प्रभावित किया है और उम्मीद किया जा रहा है कि RBI अपने महंगाई लक्ष्य को और अधिक यथार्थवादी करेगा यानी, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के लिए यह इसे 6 प्रतिशत से अधिक कर सकता है.
रेपो रेट बढ़ा तो शेयर बाजार, आम लोगों की जेब पर क्या असर पड़ेगा?
जब RBI ने MPC की पिछली बैठक के बाद रेपो रेट को 0 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत करने की घोषणा की थी तब इस फैसले से भारतीय शेयर बाजार में अफरातफरी मच गई और बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी 2% से ज्यादा लुढ़के थे. इसबार बाजार इसके लिए पहले से तैयार है.
रेपो रेट पर निर्णय से एक दिन पहले बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का 30 शेयरों वाला Sensex 1.02% की कमजोरी के साथ 55,107 पर बंद हुआ. वहीं, NSE Nifty 0.92% गिरकर 16,416 पर आ गया.
अगर रेपो रेट के बढ़ने का आम लोगों पर असर की बात करें तो, इसके बढ़ने के कारण बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFCs) लोन पर ब्याज दरों और जमा दरों को बढ़ाने लगती हैं.
यानी अगर RBI इसबार भी रेपो रेट बढ़ाता है तो कर्ज पर ब्याज दरें बढ़ेंगी. घर, कार और अन्य पर्सनल और कॉर्पोरेट लोन पर EMI बढ़ने की संभावना है.
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