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रिलायंस की रिफाइनरी, पेट्रोकेमिकल बिजनेस बनेगी अलग कंपनी,अहम बातें

शेयर होल्डिंग में कोई बदलाव नहीं लाया जाएगा

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अरामको डील से पहले मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है. कंपनी का ऑयल-टू-केमिकल (तेल से रसायन) या O2C बिजनेस अब स्वतंत्र (independent) सब्सिडियरी बनने जा रहा है. स्टॉक एक्सचेंज को रिलायंस द्वारा दी गई जानकारी में यह बात सामने आई है. आइए देखते हैं इस बदलाव से जुड़े अहम पहलुओं को.

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रिलायंस ने अपने दिसंबर तिमाही नतीजों में पहली बार O2C बिजनेस की इंटिग्रेटेड अर्निंग (integrated earnings) दिखाई थी.

ऑयल-टू-केमिकल बिजनेस के अंतर्गत रिफाइनिंग, पेट्रोकेमिकल्स, फ्यूल रिटेल और मार्केटिंग बिजनेस को रखा जाएगा. इसके अंतर्गत तेल का एक्सप्लोरेशन और उत्पादन शामिल नहीं होगा. रिलायंस BP मोबिलिटी, रिलायंस ग्लोबल एनर्जी सर्विसेज सिंगापुर लिमिटेड, रिलायंस ग्लोबल एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड (UK), रिलायंस इथेन पाइपलाइन लिमिटेड, इत्यादि O2C बिजनेस के अंतर्गत आ जाएंगे.

रिलायंस की तरफ से NCLT को 3 फरवरी, 2021 को O2C बिजनेस की जानकारी दे दी गई है.

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अरामको डील से पहले बड़ा फैसला

कंपनी के इस पुनर्गठन के पीछे सऊदी अरामको के साथ रिलायंस की संभावित डील मानी जा रही है. रिलायंस आने वाले दिनों में बड़े निवेशों की उम्मीद कर रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक सऊदी अरामको से रिलायंस की फिर बातचीत शुरू हुई है. सऊदी अरामको द्वारा कंपनी में 20% हिस्सेदारी की खरीद में कोरोना महामारी के कारण काफी देरी हुई है. बिजनेस को अलग अलग भागों में बांटे जानें के पीछे अच्छे वैल्यूएशन की मंशा दिख रही है. इससे स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप में भी रिटेल, इ-कॉमर्स और ऑयल टू केमिकल बिजनेस को मदद मिलेगी.

वित्त वर्ष 2022 के अंत तक यानी मार्च 2022 तक इस प्रक्रिया के पूरा होने की उम्मीद है. आने वाले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में शेयरधारकों और क्रेडिटर्स से इस बदलाव को स्वीकृति मिल जानी चाहिए. रिलायंस को इसके बाद FY22 की दूसरी तिमाही में नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) मुंबई और NCLT अहमदाबाद के स्वीकृति की उम्मीद है.

बिजनेस के ट्रांसफर के साथ वर्तमान की O2C टीम भी नई सब्सिडियरी का हिस्सा बन जाएगी. रिलायंस के अनुसार इससे कंपनी के कैश फ्लो और अर्निंग (earning) पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. रिस्ट्रक्चरिंग के बाद O2C सब्सिडियरी में रिलायंस का 100% मैनेजमेंट कंट्रोल होगा. साथ ही शेयरहोल्डिंग में भी कोई बदलाव नहीं लाया जाएगा.

इस बदलाव से कंपनी को राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग पर कोई असर होने की उम्मीद नहीं है. वर्तमान में रिलायंस इंडस्ट्रीज की घरेलू बाजार में AAA ( सर्वोत्तम श्रेणी) और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में BBB+ रेटिंग है.

रिलायंस ने इस घोषणा के साथ अपने क्लीन और ग्रीन एनर्जी की योजना पर भी प्रकाश डाला है. कंपनी के अनुसार O2C बिजनेस में कार्बन फुटप्रिंट में कमी लाने की योजना है. कंपनी इसके लिए नई टेक्नोलॉजी का सहारा लेगी. अपने प्रेजेंटेशन में रिलायंस ने बताया कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और आने वाली ऑयल टू केमिकल सब्सिडियरी ने कार्बन जीरो होने के लिए वर्ष 2035 का लक्ष्य रखा है.

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