सरकार देश में कैश की कमी से इनकार कर रही है लेकिन एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में 70,000 करोड़ रुपये की कैश की कमी है. यह एक महीने में एटीएम से निकाले जाने वाले कैश का एक तिहाई है.
देश में करेंसी की कमी की खबरों के बाद एसबीआई रिसर्च नोट में नॉमिनल इकनॉमिक ग्रोथ, लोगों के पास मौजूद नकदी और डिजिटल ट्रांजेक्शन में इजाफे को ध्यान में रख कर हालात का आकलन किया गया है. इसमें कहा गया है कि अगर नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ 9.8 फीसदी होती लोगों के पास मार्च 2018 तक 19.4 ट्रिलियन रुपये की करेंसी होती, जबकि वास्तविक में उनके पास उस दौरान 17.5 ट्रिलियन रुपये की करेंसी ही थी. इस तरह 1.9 ट्रिलियन रुपये की करेंसी कम पड़ गई.
रिपोर्ट के मुताबिक
डिजिटल ट्रांजेक्शन का अनुपात भी घट गया और यह 1.2 ट्रिलियन रुपये पर रह गया. यह 2016 में नोटबंदी शुरू होने के ठीक बाद के महीनों से काफी कम है.
एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समय सिस्टम लगभग 70,000 करोड़ या इससे ज्यादा का कैश कम है. एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी छमाही में एटीएम कार्ड से 15,291 अरब रुपये निकाले गए. यह पिछले छह महीने में एटीएम से निकाली जाने वाली रकम से 12.2 फीसदी कम है.
200 रुपये के नोटों की वजह से पैदा हुआ संकट?
कैश की कमी के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि नकदी की कीमत में जो कमी महसूस की जा रही है वह 200 रुपये को नोटों को जल्द से जल्द सिस्टम में लाने की कोशिश की वजह से भी हो सकती है.इससे छोटे नोटों की मांग पर असर हुआ होगा. इसकी कमी की भरपाई बड़े नोटों से करने की कोशिश की गई होगी. चूंकि एटीएम को बार-बार नोटों से भरना पड़ा होगा इसलिए एटीएम में कैश की कमी दिखाई जा रही होगी.
रिपोर्ट में इस स्थिति का संदर्भ देते हुए कहा है कि शायद इसी वजह से आरबीआई ने कैश की कमी के लिए एटीएम लॉजिस्टिक की दिक्कतों की बात की थी. रिजर्व बैंक की ओर से कहा गया था कि 200 रुपये के नोटों को भरने की वजह से एटीएम लॉजिस्टिक की समस्या आई होगी. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चौथी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में हुई बढ़ोतरी की वजह से एटीएम से ज्यादा कैश निकाला गया होगा और इससे नोटों की कमी हुई होगी.
इनपुट - पीटीआई
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