केंद्र की मोदी सरकार ने इनकम टैक्स रिटर्न की ई-फालिंग को आसान बनाने के लिए नेक्स्ट जेनरेशन सिस्टम को मंजूरी दे दी है. इस सिस्टम के लागू हो जाने के बाद इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना पहले से बेहद आसान हो जाएगा.
आईटीआर की ई-फाइलिंग के लिए नेक्स्ट जेनरेशन सिस्टम बनाने पर 4,241.97 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. इस सिस्टम को बनाने का काम दिग्गज आईटी कंपनी इन्फोसिस को देने का फैसला किया गया है.
नेक्स्ट जेनरेशन सिस्टम से क्या होगा?
- इससे रिटर्न की जांच पड़ताल का समय 63 दिन से घटकर एक दिन रह जाएगा
- रिफंड की प्रक्रिया को भी तेज किया जा सकेगा
- इस फैसले से पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी
- इससे टैक्स पेयर को जागरूक और शिक्षित करने में भी मदद मिलेगी
- इससे टैक्स पेयर्स के लिए प्रोसेसिंग तेज होगी
- नए सिस्टम से वॉलेंटियर टैक्स कम्पलाइंस को भी प्रोत्साहन मिलेगा
प्रोजेक्ट पर आएगा 4,241.97 करोड़ का खर्च
केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इनकम टैक्स की ई फाइलिंग एंड सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर (सीपीसी) 2.0 प्रोजेक्ट के लिए 4,241.97 करोड़ रुपये के खर्च को मंजूरी दी गई.
केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले की जानकारी देते हुए गोयल ने बताया कि अभी आईटीआर की जांच पड़ताल में 63 दिन का समय लगता है. इस परियोजना के लागू होने के बाद यह घटकर एक दिन रह जाएगा.
गोयल ने बताया कि इस नए सिस्टम को करीब डेढ़ साल में तैयार किया जाएगा. पहले तीन महीने तक इसकी टेस्टिंग की जाएगी और उसके बाद इसे लागू किया जाएगा.
इन्फोसिस डेवलप करेगी Next Gen सिस्टम
पीयूष गोयल ने बताया कि टेंडरिंग के बाद इन्फोसिस को इस प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है. उन्होंने कहा कि मौजूदा सिस्टम सफल रहा है और नया प्रोजेक्ट और ज्यादा टैक्स अनुकूल होगा. सीपीसी परियोजनाओं के तहत आयकर विभाग में समस्त प्रक्रियाओं का एंड टु एंड ऑटोमेशन किया जाएगा.
मंत्रिमंडल ने मौजूदा सीपीसी-आईटीआर 1.0 प्रोजेक्ट के लिए 2018-19 तक 1,482.44 करोड़ रुपये की एकीकृत लागत को भी मंजूरी दी है. गोयल ने बताया कि मौजूदा फाइनेंशियल ईयर में अभी तक 1.83 लाख करोड़ रुपये के कर रिफंड जारी किए गए हैं.
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