संसद के निचले सदन लोकसभा (Loksabha) में 18 दिसंबर की शाम को इकनॉमी और रोजगार पर चर्चा हुई. कांग्रेस (Congress) नेता अधीर रंजन चौधरी ने कोरोना वायरस संकट के बाद गिरती अर्थव्यवस्था को लेकर बीजेपी सरकार की नीतियों और कामकाज पर सवाल दागे. कांग्रेस ने कहा कि इस सरकार के पास प्रवासी मजदूरों की मौत का और रोजगार का कोई डेटा नहीं है. ये 'बिना डेटा वाली सरकार' है.
इकनॉमी के मोर्चे पर सरकार के कामों के जवाब देने के लिए जयंत सिन्हा खड़े हुए. जयंत सिन्हा ने कहा कि अनलॉक के बाद से इकनॉमी में रिकवरी देखने को मिल रही है. वहीं रोगजार के मोर्चे पर उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत रोजगार मांगने वालों की संख्या घट रही है.
नौकरियों पर कांग्रेस ने दागे सवाल
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने केंद्र सरकार से सवाल पूछा कि- 'देश में 2 करोड़ से ज्यादा लोगों की नौकरियां चली गईं. करीब 14 लाख कामगारों के पास काम नहीं है. तो इस तरह से हम ग्रोथ की उम्मीद कैसे कर सकते हैं.'
"ये 'बिना डेटा वाली सरकार' है"
अधीर रंजन चौधरी ने बीजेपी सरकार के डेटा के सवाल पर भी घेरा. कांग्रेस नेता चौधरी ने कहा-
सरकार ने संसद को बताया कि उनके पास उन प्रवासी मजदूर की मौतों का आंकड़ा नहीं है, जो लॉकडाउन के बाद अपने घरों को जाने के लिए मजबूर हुए. जब हम नौकरियों पर सवाल करते हैं तो सरकार कहती है कि डेटा नहीं है. ये 'बिना डेटा वाली सरकार' है.अधीर रंजन चौधरी, कांग्रेस नेता
वहीं इकनॉमी के तंदरुस्त होने का दावा करते हुए बीजेपी नेता जयंत सिन्हा ने एक आंकड़ा लोकसभा में रखा.
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत के तहत रोजगार की मांग में 6 करोड़ से गिरकर दो करोड़ हो गई है, ये संकेत है कि जैसे-जैसे अनलॉक किया जा रहा है, इकनॉमी में रिकवरी देखने को मिल रही है.जयंत सिन्हा, बीजेपी मंत्री
जयंत सिन्हा ने ये बात लोकसभा में सप्लीमेंट्री डिमांड फॉर ग्रान्ट्स 2020-21 पर हो रही चर्चा के दौरान कहीं.
मनरेगा के लिए दिया फंड नाकाफी: अधीर रंजन चौधरी
वहीं विपक्षी दल कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि 'सरकार ने मनरेगा के तहत 40,000 करोड़ का एडिशनल फंड दिया है. इसका वास्तविक रूप में कोई योगदान नहीं है. बीजेपी के लोग कहते थे मनरेगा मरेगा. लेकिन ये नहीं मरेगा बल्कि लोगों को बचाएगा. अब आपको भी इसकी तारीफ करनी पड़ रही है.'
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