वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के आंकड़े जारी किए गए हैं. सांख्यिकी एवं योजना क्रियान्वयन मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक इस तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 8.4 फीसदी रही. तमाम एजेंसियों की तरफ से अनुमान लगाया गया था कि जीडीपी ग्रोथ 7 से लेकर 9 फीसदी तक रह सकती है. पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी में 7.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी.
पहली तिमाही में दिखा था उछाल
कोरोना महामारी के बाद जब कारोबार थोड़ा उठने लगे तो इसका असर जीडीपी पर देखने को मिला था. इस वित्त वर्ष पहली तिमाही की जीडीपी में 20.01 फीसदी की बढ़त देखी गई थी.
कोरोना महामारी के बाद इस तरह के उछाल को स्वाभाविक माना गया था. जबकि पिछले साल यानी 2020-21 की पहली तिमाही में इकनॉमी धराशायी हो गई थी. इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में 24.4% की गिरावट देखने को मिली थी.
अब तीसरी तिमाही के लिए जानकारों का मानना है कि इसमें और ज्यादा उछाल देखने को मिल सकता है. क्योंकि अक्टूबर से लेकर दिसंबर तक त्योहारों का सीजन रहा और इस दौरान लोगों ने जमकर खरीदारी भी की. यानी इकनॉमी को बूस्ट मिला. इसका असर जीडीपी के आंकड़ों में नजर आ सकता है.
सुधरने लगी इकनॉमी की रफ्तार
किसी भी देश की इकनॉमी की पहचान उसकी जीडीपी ग्रोथ से होती है. भारत में जीडीपी लगातार ऊपर-नीचे हो रही थी, तभी कोरोना महामारी की शुरुआत हुई और जीडीपी नेगेटिव में चली गई. इसके बाद कोरोना की दूसरी लहर ने भी काफी असर डाला. लेकिन पिछले कुछ महीनों से इकनॉमी पटरी पर लौटी है. जिसका सीधा असर जीडीपी पर देखा जा सकता है. इस वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही के आंकड़े यही बता रहे हैं.
हालांकि कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन ने दुनियाभर के देशों में एक रेड अलर्ट जारी कर दिया है. अफ्रीकी देशों में पैदा हुए इस वेरिएंट को काफी खतरनाक माना जा रहा है. दुनिया के तमाम देश फिर से सख्ती बरत रहे हैं, अगर डेल्टा वेरिएंट की तरह ये भी दुनिया के देशों में फैला तो इसका असर वैश्विक इकनॉमी पर देखा जा सकता है. भारत में भी इस वेरिएंट को लेकर तमात तरह की सावधानियां बरती जा रही हैं.
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