नवंबर के महीने में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स की राजस्व वसूली का विश्लेषण करने के कई तरीके हैं. सबसे पहले ताजा आंकड़ों पर नजर डालते हैं…
जीएसटी राजस्व
25 दिसंबर तक जीएसटी के तहत कुल रजिस्टर्ड टैक्सपेयर 99.01 लाख हैं
कंपोजिशन स्कीम डीलर: 16.6 लाख
नवंबर के जीएसटी राजस्व आंकड़ों का विश्लेषण
1. ये अक्टूबर के राजस्व के मुकाबले 2,500 करोड़ रुपये कम हैं, जो पहले ही सितंबर के मुकाबले कम था. इसे बुरी खबर माना जा सकता है क्योंकि समय के साथ नए टैक्सपेयर जुड़ने और बेहतर कंप्लायंस के बाद राजस्व बढ़ना चाहिए था, घटना नहीं.
2. ये नहीं भूलना चाहिए कि नवंबर में जीएसटी काउंसिल ने 200 से ज्यादा चीजों पर दरें घटा दी थीं. राजस्व का अनुमानित घाटा (काउंसिल के एक सदस्य के मुताबिक) करीब 20,000 करोड़ रुपये था, यानी हर महीने करीब 1,600 करोड़ रुपये. इसलिए अक्टूबर और नवंबर के बीच के 2,500 करोड़ के अंतर का मोटा हिस्सा इस वजह से आया हो सकता है.
3. अक्टूबर त्योहारी महीना था और इसलिए इसमें नवंबर के मुकाबले वसूली ज्यादा होना आश्चर्य की बात नहीं है. हालांकि, इसके बाद ध्यान अक्टूबर के आंकड़े पर चला जाता है जिसे सितंबर के मुकाबले ज्यादा होना चाहिए था. अभी तो फाइल होने वाले रिटर्न्स की तादाद भी घटी है—57.3 लाख से घटकर 50.1 लाख. हालांकि इन आंकड़ों में संशोधन मुमकिन है.
4. इसमें से कुछ भी चिंताजनक नहीं है, क्योंकि कुछ अनुमानों के मुताबिक सरकार अभी भी रेवेन्यू न्यूट्रलिटी (राजस्व वसूली में न फायदा, न नुकसान) के रास्ते पर है. क्रेडिट सुइस के इंडिया इक्विटी स्ट्रैटजिस्ट नीलकंठ मिश्रा ने सालाना राजस्व का अनुमान 10.6 लाख करोड़ रुपये का लगाया है, यानी हर महीने करीब 88,000 करोड़ रुपये.
इस अनुमान के मुताबिक सरकार को जीएसटी के पहले पांच महीनों, यानी जुलाई से नवंबर तक, 4.41 लाख करोड़ रुपये की वसूली होनी चाहिए थी. और वास्तविक वसूली कितनी हुई है...4.41 लाख करोड़. वाह!
5. रेवेन्यू न्यूट्रलिटी के सभी अनुमान एक जैसे नहीं हैं. मिश्रा ने खुद इस बात का इशारा किया है कि सरकार के एक अनुमान में रेवेन्यू न्यूट्रलिटी के 9.6 लाख करोड़ रुपये पर रहने की बात कही गई है. हालांकि, कोई आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया गया है.
दो और टैक्स एक्सपर्ट, जिनसे मैंने बात की, के मुताबिक रेवेन्यू न्यूट्रलिटी हर महीने 1 लाख करोड़ रुपये के जीएसटी राजस्व से हासिल हो सकती है. आप अपनी पसंद के अर्थशास्त्री, टैक्स एक्सपर्ट या अनुमान को चुन सकते हैं, मैं मिश्रा के अनुमान के साथ हूं.
6. कई अन्य टैक्स विशेषज्ञों ने मंगलवार को आंकड़े जारी होने के बाद राजस्व की कम वसूली पर चिंता जताई है.
दिसंबर में जीएसटी के राजस्व की वसूली का रुझान नीचे की तरफ बना हुआ है, जो चिंता की बात है. हालांकि इसकी एक वजह नवंबर मध्य में दरों में कटौती हो सकती है, लेकिन टैक्स बेस बढ़ने की वजह से वसूली में गिरावट रुकनी चाहिए थी. अगर ये रुझान जारी रहता है, तो सरकार जीएसटी की दरों में और कटौती करने से पीछे हट सकती है.अभिषेक जैन, टैक्स पार्टनर, ईवाई इंडिया
नवंबर के लिए राजस्व वसूली में गिरावट उम्मीद के मुताबिक है, क्योंकि 15 नवंबर से 175 से ज्यादा चीजों पर दरें घटाई गई थीं और एक्सपोर्टर्स को रिफंड भी हाल में शुरू हुआ है. दिसंबर के लिए भी, क्रेडिट क्लेम का थोड़ा असर हो सकता है, जिसकी अंतिम तारीख 27 दिसंबर है. जनवरी से वसूली में स्थिरता आनी चाहिए.प्रतीक जैन, लीडर- इनडायरेक्ट टैक्स, पीडब्ल्यूसी
7. थोड़ा इंतजार कीजिए, क्योंकि नए साल में असली आंकड़े सामने आएंगे, क्योंकि कंपोजिशन स्कीम का फायदा उठाने वाले टैक्सपेयर्स को हर तिमाही टैक्स देना है और इसलिए दिसंबर के अंत में आंकड़े बढ़ते दिखाई देंगे.
8. वित्त मंत्रालय के प्रेस बयानों में कोई तय फॉरमेट नहीं होता. इसलिए हर महीने आंकड़े अलग-अलग तरीके से पेश किए जाते हैं. लेकिन,अगस्त के बयान में कहा गया था कि 58.53 लाख टैक्सपेयर जीएसटीएन में आ चुके थे. और नए रजिस्टर्ड टैक्सपेयरों की तादाद थी 18.83 लाख. यानी कुल 77.36 लाख रजिस्ट्रेशन.
नवंबर में मंत्रालय के बयान में कुल रजिस्ट्रेशन 95.9 लाख कहा गया था, जिसमें 15.1 लाख कंपोजिशन डीलर शामिल हैं.
मंगलवार को मंत्रालय के बयान में कहा गया कि अभी तक जीएसटी के तहत 99.01 लाख टैक्सपेयर रजिस्टर्ड किए गए हैं. इनमें से 16.60 लाख ने कंपोजिशन स्कीम ली है.
9. लेकिन अगर नवंबर और दिसंबर के बीच जीएसटी के तहत 3.11 लाख टैक्सपेयर जुड़े और उनमें से सभी ने कंपोजिशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है, तो क्या नवंबर में राजस्व वसूली अक्टूबर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए थी?
10. अगर आपके मन में ये सवाल अभी भी है, तो दोबारा पहले प्वॉइंट से पढ़िए.
(मेनका दोशी ब्लूमबर्ग क्विंट की मैनेजिंग एडिटर हैं)
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