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10 की जगह 11 डिजिट का हो सकता है आपका मोबाइल नंबर, जानिए क्यों?

नंबर रिसोर्स बढ़ाने के लिए ट्राई ने मोबाइल के लिए 11और फिक्स्ड लाइन के लिए 10 डिजिट के नंबर का प्रस्ताव किया है.

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जल्द ही आपको 10 की जगह 11 अंकों का मोबाइल नंबर मिल सकता है. इसकी तैयारी शुरू हो गई है. टेलीकॉम रेगुलेटर TRAI ने देश में मोबाइल फोन नंबर को वर्तमान में 10 की जगह 11 डिजिट का करने के लिए लोगों से सुझाव मांगे हैं.

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11 डिजिट के मोबाइल नंबर की जरूरत क्यों?

कनवर्जेंट सर्विस, स्मार्ट डिवाइस और मशीन टू मशीन कम्यूनिकेशन और प्रीमियम सर्विस की वजह से ज्यादा नंबरिंग रिसोर्स की जरूरत पड़ेगी. लिहाजा, मोबाइल नंबरिंग को 11 डिजिट में ट्रांसफर किया जा सकता है.

नंबर रिसोर्स बढ़ाने के लिए TRAI ने मोबाइल के लिए 11 डिजिट और फिक्स्ड लाइन फोन के लिए 10 डिजिट के नंबर का प्रस्ताव किया है. सिर्फ डेटा ओनली मोबाइल नंबर (डोंगल कनेक्शन जैसी सर्विस के लिए ) 10 से 13 डिजिट में शिफ्ट किए जा सकते हैं. 3,5 और 6 से शुरू होनी वाली नंबर सीरीज छोड़ी जा सकती है.

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मोबाइल फोन की संख्या बढ़ने से ज्यादा नंबर रिसोर्स की जरूरत

सरकार ने ओटीटी और मशीन टू मशीन कम्यूनिकेशन के लिए पहले 13 डिजिट के नंबर लॉन्च किए हैं. ट्राई के आकलन के मुताबिक, देश में टेलीफोन नंबर की जरूरत पूरी करने के लिए और 2.6 अरब नंबर की जरूरत होगी. इस समय देश में 1.2 अरब टेलीफोन कनेक्शन हैं.

ट्राई के मुताबिक, देश में टेलीफोन कनेक्शन की डिमांड बढ़ रही है. ट्राई के कंस्लटेशन पेपर में कहा गया है कि अगर देश में 2050 टेली डेनसिटी बढ़कर दो सौ फीसदी पहुंच जाती है तो मोबाइल फोन की तादाद 3.28 अरब तक हो सकती है

 नंबर रिसोर्स बढ़ाने के लिए ट्राई ने मोबाइल के लिए 11और फिक्स्ड लाइन  के लिए 10 डिजिट के नंबर का प्रस्ताव किया है.
भारत में टेलीफोन नंबर नेशनल नंबरिंग प्लान 2003 के मुताबिक तय होते हैं
(फोटो:रॉयटर्स )
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कैसे तैयार होता है नंबर प्लान ?

भारत में टेलीफोन नंबर नेशनल नंबरिंग प्लान 2003 के मुताबिक तय होते हैं. इसे दूरसंचार विभाग ने बनाया है. नंबरिंग प्लान आखिरी बार 2015 में अपडेट हुए थे. इंटनेशनल टेलीकम्यूनिकेशन के लिए भारत के लिए कोड नंबर 91 अलॉट किया है.

9,8 और 7 से शुरू होने वाले मौजूद नंबरों की क्षमता 2.1 अरब कनेक्शन तक है. न्यू नंबरिंग प्लान 2003 में आए थे लेकिन अब तरह-तरह की सर्विस और कनेक्शन में जबरदस्त बढ़ोतरी की वजह से मोबाइल कनेक्शन के लिए नंबर कम पड़ने की आशंका पैदा हो गई है.

उस समय 75 करोड़ फोन कनेक्शन के लिए नंबर स्पेस बनाए गए थे. इनमें 45 करोड़ मोबाइल और 300 करोड़ बेसिक फोन के लिए थे. जून 2019 तक देश मे टेलीफोन सब्सक्राइवर 1 अरब से ज्यादा हो चुके थे. यह टेली डेनिसिटी के 90 फीसदी तक पहुंच चुका है

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नए नंबर रिसोर्स पैदा करना जरूरी है. लिहाजा, इनके इस्तेमाल की समीक्षा जरूरी हो गई. आगे टेलीकॉम सर्विस सुचारू रूप से चलती रहे इसके लिए नए नंबर रिसोर्स पैदा करना जरूरी है.

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